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इलेक्ट्रिक बसों की फाइल फोटो
अंबाला। अंबाला से उड़ान शुरू करने की कवायद तेजी से प्रशासन कराने में जुटा है मगर अंबाला में इलेक्ट्रिक बसों के लिए सरकारी महकमे कोई रास्ता नहीं निकाल पाए। हकीकत यह है कि रोडवेज ने बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन बना दिया, ट्रायल के लिए रूट भी फाइनल कर दिया मगर इसके लिए बस नहीं मंगा सके।
अब आचार संहिता लग गई है ऐसे में विभाग चुनावी कार्यों में व्यस्त हो जाएंगे। ऐसे में अब ऐसे हालात लग रहे हैं कि नई सरकार आने के बाद ही अंबाला को इलेक्ट्रिक बसें मिल सकेंगी। दरअसल प्रदेश में नाै जिलों में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक बसें लाने की सरकार ने घोषणा की थी। इन जिलों में अंबाला भी शामिल था।
करनाल, पानीपत और यमुनानगर में तो यह सुविधा शुरू हो गई मगर अंबाला में रोडवेज तालमेल ही नहीं बैठा पाया जिसके कारण आचार संहिता लगने से पहले तक भी इलेक्ट्रिक बसें नहीं आ सकी। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि परिवहन मंत्री अंबाला शहर से ही विधायक हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों पर विभाग की गंभीरता एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है।
नौ महीने से बसों का इंतजार
अंबाला में रोडवेज अधिकारियों की तरफ से पहले कहा जा रहा था कि जनवरी माह में रोडवेज अपने इलेक्ट्रिक बसों के ट्रायल शुरू कर देगी। मगर जनवरी में भी लोग इन बसों का इंतजार करते रहे। इसके बाद तर्क दिया गया कि मार्च में इलेक्ट्रिक बसें आ जाएंगी, मगर तब भी नहीं आईं। इस दौरान रोडवेज ने शहर के बस स्टैंड परिसर में इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग के लिए आधार तैयार कर दिया। ट्रांसफार्मर आदि सुविधाएं लगाईं थी। कंपनी की तरफ से चार्जिंग मशीन स्थापित की गई। बावजूद इसके नौ महीने बीतने पर भी अभी तक बसें नहीं आ सकीं।
अधिकारी नहीं दे पा रहे स्पष्ट जवाब
इस मामले में जब रोडवेज के अधिकारियों से पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि जल्द बसें आ जाएंगी। वहीं सूत्रों की मानें तो बसों को मंगाने के लिए विभाग के बीच तालमेल की कमी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि बसें लाने के लिए जेबीएम कंपनी ऑपरेटर है। बसों के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसी कारण लगातार देरी हो रही है।
वर्जन
हमारी तरफ से तैयारी पूरी है, बस आचार संहिता हटने के बाद इलेक्ट्रिक बसों को लाने का काम किया जाएगा।
-विपुल नांदल, टीएम, रोडवेज
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