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अंबाला सिटी। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत विभाग की ओर से अब टीबी मरीजों के परिजनों को भी दवाइयां दी जा जाएंगी। जिले भर में 2050 टीबी के मरीज हैं। चिकित्सकों का कहना है कि उनको सप्ताह में एक बार खुराक खानी होगी। नियमित तौर पर अब यह कार्यक्रम चलाया जाएगा।
चिकित्सकों का कहना है कि टीबी रोग हवा के जरिए संक्रमित कर सकता है। इसलिए टीबी मरीजों के साथ रहने वाले लोगों के लिए दवा लेना भी जरूरी है।समय रहते दवा लेने से टीबी के खतरे को कम किया जा सकता है। विभाग की ओर से इसके लिए बीसीजी वैक्सीन का कार्य भी किया जा रहा है। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी के चलते विभाग अपना कार्य कर रहा है।
टीबी मुक्त पंचायत अभियान का लक्ष्य भी बढ़ा
बीते वर्ष विभाग की ओर से 43 ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया गया था। इस वर्ष जिला अंबाला को 120 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य मिला है। जिसके लिए कार्यप्रणाली बनाई जा रही है। डीटीओ डॉ सीमा ने बताया कि इस अभियान के तहत ग्राम पंचायताें में प्रति 1000 लोगों की जनसंख्या पर टीबी मरीजों की संख्या जांची जाती है। ग्राम पंचायत में प्रति 1000 लोगों पर 30 का टेस्ट होना चाहिए, ग्राम पंचायत में प्रति एक हजार लोगों पर एक मरीज से अधिक नहीं होना चाहिए। टीबी मरीजों की उपचार दर 80 फीसदी होनी चाहिए। इसके बाद ही ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया जाता है।
बीते वर्ष टीबी से 58 की मौत
डॉ सीमा ने बताया कि जिला अंबाला में टीबी के कारण बीते वर्ष 58 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि टीबी संक्रमण के कारण मरीज के फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लग जाती है। समय पर उपचार न मिले तो मरीज की मौत भी हो जाती है। इसलिए समय रहते टीबी संक्रमण की जांच करवानी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति टीबी मरीज के साथ रहता है तो उसे भी अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए।
वर्जन
टीबी मरीजों के साथ- साथ परिजनों को भी दवा खिलाई जा रहा है। इससे उन्हें भी खतरा कम हो जाएगा। टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
-डॉ. सीमा, डीटीओ अंबाला
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