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सुखबीर सिंह
अंबाला सिटी। रबी के सीजन में फसल अवशेषों में आग लगने के 84 मामले सामने आए हैं। मगर किसी भी मामले में न तो एफआईआर हुई और न जुर्माना वसूला गया।
अधिकतर मामलों में किसानों का एक ही जवाब है कि गलती से आग लगी थी। खेतों में आग का सत्यापन करने जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो किसान आग के लिए अलग तर्क देते नजर आए। किसी किसान ने कहा कि गलती से आग लग गई थी तो किसी ने कचरे में लगी आग को प्रमुख कारण बताया।
इसी कारण अधिकारी भी कुछ नहीं कर सके। जबकि सरकार की ओर से हिदायत थी कि फसल अवशेष जलाने वालों पर मामला दर्ज किया जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि मंगलवार को भी अंबाला कैथल राजमार्ग के पास फानों में आग और खेतों से धुंआ उठता दिखा।
दमकल विभाग को करते थे फोन
आग लगने के जितने मामले सामने आए हैं। उनमें यही देखने को मिला है कि अधिकतर किसान खेतों बचे अवशेषों में आग लगने की सूचना दमकल विभाग को देते थे। जब तक दमकल विभाग को सूचना मिलती थी और माैके पर पहुंचती थी। तब तक आग के कारण सभी अवशेष जल जाते थे। इतना ही नहीं जब अधिकारी सेटेलाइट की मदद से मौके पर जांच के लिए पहुंचते थे तो उन्हें भी आगजनी की घटना ही बताई जाती थी। इतना ही नहीं सरपंच भी आगजनी की घटना ही बताते रहे।
रोजाना दमकल विभाग के पास आती थी कॉल
गेहूं के सीजन में कटाई के दौरान दमकल विभाग की ओर से पूरी तैयारियां की गई थी। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से अस्थाई फायर स्टेशन भी बनाया गया था। इसके बाद भी रोजाना 10 से 20 फोन काॅल आती थी। इनमें से अधिकतर फसल अवशेष के मामलों से संबंधित ही होती थी।

तीन वर्षों का ये रहा आंकड़ा
वर्ष
2022 92
2023 80
2024 133
2025 84
वर्जन
हमारी ओर से टीमें भी गठित की गई थी। मगर जब भी कोई अधिकारी जांच के लिए जाते थे तो उन्हें सरपंच से भी अचानक आग लगने का जवाब मिलता था। ऐसे में एक भी मामले में एफआईआर नहीं हो पाई।
-डॉ. जसविंद्र सिंह सैनी, डीडीए, कृषि विभाग अंबाला।
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