कथा सुनने पहुंचे श्रद्धालु। संवाद
अंबाला सिटी। जट्टां वाला प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित शिवमहापुराण कथा में कथावाचक पंडित राकेश शर्मा ने नंदिकेश्वर धाम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि एक बार सुवाद ब्राह्मण यात्री बनकर काशी नगरी में एक ब्राह्मण के घर ठहरा था। वहां रात में एक आश्चर्य हुआ।
ब्राह्मण के आंगन में एक सुंदर गाय बंधी थी और उसका बछड़ा भी था परंतु गाय सायंकाल के समय से दोही न जा सकी थी। क्योंकि ब्राह्मण घर में नहीं था। जब रात में वह घर आया तो गाय को दोही न देख खेदित हुआ। उन्होंने शीघ्र ही अपनी पत्नी को बुलाया और बछड़ा छोड़ गाय को दोहने चला गया। बछड़े ने उछल-कूद कर उसका पैर कुचल दिया, जिससे वह ब्राह्मण बड़ा क्रोधित हुआ।
क्रोध में उस बछड़े को बहुत मारा और गाय दोह ली। तब बछड़े को दूध न पिलाने के कारण गाय रुदन करने लगी। उस समय अपनी माता को राेते देख बछड़े ने कहा कि, हे माता तुम क्यों रोती हो। दोनों माता-पुत्र की वार्ता सुन कर ब्राह्मण को बड़ा आश्चर्य हुआ और कहा कि सुबह तक देखकर ही जाऊंगा। सुबह होने पर उस गृह का स्वामी उठा और ब्राह्मण को जगाने लगा और बोला कि पूर्ण प्रात: काल हो गया अब अपनी यात्रा करो और जहां तुम्हारी इच्छा जाने की हो उस देश को जाओ। पथिक ने कहा- मेरे और मेरे सेवक के शरीर में कुछ पीड़ा है, इससे यहां थोड़ा समय ठहर कर जाउंगा।
ब्राह्मण कुछ न बोला और स्वयं कहीं जाने के विचार से अपने पुत्र को बुला उसे गाय दोहने को कह कर चला गया। पुत्र ने उठ कर गाय दोहने के लिए बछड़े को खोल दिया। बछड़ा खोलते ही गाय ने अपने सींगों से उस पर ऐसी सांघातिक चोट की कि वह पृथ्वी पर गिर कर तत्काल ही मर गया । यह देख उसकी माता चिल्ला कर पुत्र-शोक से घोर विलाप करने लगी । लोगों ने दौड़ कर ब्राह्मण को बुलाया।
ब्राह्मणी ने क्रोधित होकर गाय को खूंटे से खोल दिया और कहा कि इस गाय के लिए क्या करेंगे। वह गाय घर से बाहर चलीं तो लोगों ने देखा कि उसका सारा शरीर काला हो गया । वह पूंछ उठाए अपने निर्दिष्ट स्थान को चली। वह यात्री ब्राह्मण भी अपने सेवक सहित उसके पीछे चला । चलते-चलते वह गाय नर्मदा के तट पर नंदिकेश्वर महादेव के स्थान में जा पहुंची।