आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद बोस का महत्वपूर्ण योगदान है। इस दौरान 1943 में छज्जूराम ब्रिटिश फौज में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। ड्यूटी के दौरान सुभाष चंद बोस के विचारों को सुनकर वे काफी प्रभावित हुए और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय छज्जू राम
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अंबाला के दानीपुर गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय छज्जू राम ने ब्रिटिश सेना में रहते हुए अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। सुभाष चंद बोस के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने रेजीमेंट में अंग्रेज अफसरों के आदेश मानने से इंकार कर दिया था। साथ ही इंकलाब-जिंदाबाद और अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लगाए थे।
इसके बाद उन्हें सेना से बर्खास्त कर घोड़े के पीछे बांधकर घसीटा गया। कठोर अत्याचार के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी मुलाकात चौधरी देवीलाल से हुई। जेल से रिहा होने के बाद छज्जू राम ने चौधरी देवी लाल के साथ न सिर्फ स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया, बल्कि आजादी के बाद भी किसानों और मजदूरों के लिए आवाज उठाई।
आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद बोस का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में आजाद हिंद फौज का गठन कर स्वतंत्रता आंदोलन में जान फूंक दी थी। इस दौरान 1943 में छज्जूराम ब्रिटिश फौज में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। ड्यूटी के दौरान सुभाष चंद बोस के विचारों को सुनकर वे काफी प्रभावित हुए और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।