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Medical Oxygen Shortage : मेडिकल ऑक्सीजन हम सभी के लिए बेहद जरूरी है. कोरोना महामारी के दौरान इसकी जरूरत का अहसास सबसे ज्यादा हुआ. दुनियाभर में इसकी डिमांड काफी तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन इतनी मात्रा में यह उपलब्ध नहीं है. यही कारण है कि हर साल करीब 5 अरब लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. सिर्फ भारत में ही 9 करोड़ मरीजों के लिए 5.68 लाख मीट्रिक टन की जरूरत है. यह खुलासा ‘द लैंसेट मेडिकल कमीशन’ की रिपोर्ट में हुआ है. जिसके बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर इसकी कमी को कैसे पूरा किया जा सकता है.
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मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत
कोई ऑपरेशन हो या इमरजेंसी सिचुएशन, अस्थमा,गंभीर चोट और प्रेगनेंसी और डिलीवरी के समय मां-बच्चे की देखभार जैसी कंजीशन में मेडिकल ऑक्सीजन जरुरत पड़ती है लेकिन इसकी कमी चिंता बढ़ा रही है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब देश हैं. एक अनुमान है कि दुनिया की दो-तिहासी आबादी को पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. आयोग के अनुसार, कोरोना में मौत का सबसे बड़ा कारण भी यही बना था. भविष्य में भी महामारी में इसकी अहम भूमिका होगी.
हर तीन में से सिर्फ एक को मिल पाता है ऑक्सीजन
20-2021 के दौरान जब कोरोना की दूसरी लहर के चलते काफी लोगों की मौत हो गई थी. आयोग के एक्सपर्ट्स की चिंता है कि अगर भविष्य में इस तरह के हालात फिर से बने तो इसे रोकने के लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी. मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन की रिपोर्ट दुनिया का पहला अनुमान है. जिसमें बताया गया है कि मेडिकल ऑक्सीजन का वितरण काफी असमान तरीके से होता है. ऐसे में हर देश को अलर्ट रहने की जरूरत है और पहले से ही इंतजाम करना चाहिए.
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