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AI का कमाल! मरे हुए पिता से बातें करता है ये इंसान, जानिए कैसे हुआ ये संभव Today Tech News

AI का कमाल! मरे हुए पिता से बातें करता है ये इंसान, जानिए कैसे हुआ ये संभव Today Tech News

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Artificial Intelligence: डिएगो फेलिक्स डॉस सैंटोस ने कभी नहीं सोचा था कि वे अपने दिवंगत पिता की आवाज़ दोबारा सुन पाएंगे लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने यह संभव कर दिखाया. उनका कहना है “आवाज़ का टोन लगभग बिल्कुल वैसा ही है जैसे पापा सच में मेरे सामने हों.” पिछले साल पिता के अचानक निधन के बाद वे ब्राज़ील अपने परिवार के पास गए थे. स्कॉटलैंड लौटने पर उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास पिता की कोई यादगार चीज़ नहीं बची थी, सिवाय उस वॉइस नोट के जो अस्पताल से पिता ने भेजा था.

AI से फिर ज़िंदा हुईं यादें

द इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में उन्होंने इसी वॉइस नोट का इस्तेमाल करके Eleven Labs नामक AI प्लेटफ़ॉर्म की मदद ली. यह 2022 में शुरू हुआ एक वॉइस जेनरेटर टूल है. 22 डॉलर मासिक शुल्क देकर उन्होंने पिता की आवाज़ से नए मैसेज बनवाए. अब ऐप से उन्हें ऐसा लगता है मानो वे उन बातचीतों को जी रहे हों जो कभी हो नहीं पाईं. जैसे ही ऐप पर सुनाई देता है – “हाय बेटे, कैसे हो?” तो सब कुछ हकीकत सा महसूस होता है. यहां तक कि पिता का दिया हुआ निकनेम “बॉसी” भी उन्हीं शब्दों में सुनाई देता है.

परिवार की शंका और स्वीकार्यता

शुरुआत में धार्मिक मान्यताओं के कारण उनके परिवार ने इस तकनीक पर आपत्ति जताई. लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भी इसे स्वीकार कर लिया. अब डॉस सैंटोस और उनकी पत्नी, जिन्हें 2013 में कैंसर का पता चला था, सोच रहे हैं कि वे भी अपने डिजिटल वॉइस क्लोन तैयार करवा लें ताकि उनकी मौजूदगी आने वाले समय में परिवार के साथ बनी रहे.

‘Grief Tech’ का बढ़ता बाज़ार

डॉस सैंटोस का अनुभव उस ट्रेंड का हिस्सा है जिसे अब “Grief Tech” कहा जाता है. यानी ऐसी AI तकनीकें जो प्रियजनों के जाने के बाद लोगों को मानसिक सहारा देने के लिए बनाई जा रही हैं. अमेरिका की StoryFile और HereAfter AI जैसी स्टार्टअप्स पहले से ऐसे टूल पेश कर रही हैं जिनसे किसी की डिजिटल पहचान या वॉइस आधारित इंटरैक्टिव अवतार तैयार किया जा सके.

इसी सिलसिले में Eternos नाम की कंपनी भी 2024 में शुरू हुई. इसके फाउंडर रॉबर्ट लोकेसियो ने पिता के निधन के बाद AI-आधारित डिजिटल ट्विन बनाने की पहल की. अब तक 400 से ज्यादा लोग इस प्लेटफ़ॉर्म पर अपने इंटरैक्टिव अवतार बना चुके हैं. यहां 25 डॉलर से शुरू होने वाली सब्सक्रिप्शन योजना उपलब्ध है जो किसी व्यक्ति की कहानियों और यादों को उनके जाने के बाद भी परिवार तक पहुंचाती रहती है.

नैतिक और भावनात्मक सवाल

हालांकि इस तकनीक ने शोक को संभालने का एक नया रास्ता खोल दिया है, लेकिन इसके साथ कई गंभीर प्रश्न भी उठ रहे हैं. सहमति, डेटा सुरक्षा और व्यावसायिक लाभ जैसे मुद्दे अब बड़ी बहस का हिस्सा हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तकनीक इंसान को सांत्वना तो देती है लेकिन कहीं यह वास्तविक शोक की प्रक्रिया को टालने या बदलने का कारण न बन जाए.

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