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गांव खेड़ी बतर स्थित राजकीय मिडल स्कूल में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाते लोग।
चरखी दादरी। मातृभाषा का अपमान हमें इसकी जड़ों से दूर करता है। अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए भी हमें मातृभाषा से जुड़कर रहना चाहिए। जिस समाज की मातृभाषा जितनी समृद्ध होती है, वह सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उतना ही सशक्त होता है। मातृभाषा से ही सांस्कृतिक चेतना का आभास होता है।
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यह बात अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गांव खेड़ी बतर स्थित राजकीय मिडल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बिरही कलां क्लस्टर की हेड निर्मल धनखड़ ने कही। बतौर विशिष्ट अतिथि सूबेदार सोमबीर शर्मा आयोजन में शामिल हुए। ईएसएचएम पूनम बूरा ने अतिथिगण का स्वागत किया। इस दौरान छात्रों ने मातृभाषा में जल बचाओ, प्रदूषण, बेटी बचाओ, लघु नाटिका व कविताएं प्रस्तुत की। विज्ञान अध्यापक रविंद्र सांगवान ने भी मातृभाषा पर प्रकाश डाला। संस्कृत अध्यापिका प्रवेश देवी ने भी विचार रखे। सूबेदार सोमबीर शर्मा ने कविता सुनाई। इस अवसर पर सुनीता रानी, राजेश देवी, लिपिक अरविन डाला, अनिल, मुकेश, मंगल उपस्थित रहे।
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Charkhi Dadri News: लघु नाटिका व कविताओं के जरिये दिया मातृभाषा के प्रचार का संदेश