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हसीना के बेटे बोले- अमेरिका पर मां कुछ नहीं बोली: दावा था कि अमेरिका को द्वीप नहीं देने की वजह से बांग्लादेश में बिगड़े हालात Today World News

हसीना के बेटे बोले- अमेरिका पर मां कुछ नहीं बोली:  दावा था कि अमेरिका को द्वीप नहीं देने की वजह से बांग्लादेश में बिगड़े हालात Today World News

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11 मिनट पहले

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शेख हसीना के बेटे जॉय ने कहा कि उनकी मां के नाम से चलाया जा रहा बयान झूठा और मनगढंत है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय ने दावा किया है कि उनकी मां ने देश छोड़ने के पहले या बाद में कोई भी बयान नहीं दिया है। जॉय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक अखबार में उनकी मां के नाम से प्रकाशित इस्तीफा देने वाला बयान पूरी तरह से झूठा और मनगढंत है।

जॉय ने कहा, “मैंने मां से बात की है। उन्होंने बताया कि ढाका छोड़ने से पहले या बाद में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।” दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से मीडिया को भिजवाए एक संदेश में दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने में अमेरिका का हाथ है।

अखबार के दावे के मुताबिक हसीना ने कहा था कि वो सेंट मार्टिन द्वीप और बंगाल की खाड़ी को अमेरिकी कंट्रोल में देकर अपनी कुर्सी बचा सकती थी। अब हसीना के बेटे ने इस दावे को गलत बताया है।

जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे। (तस्वीर-फाइल)

जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे। (तस्वीर-फाइल)

अमेरिका पर द्वीप हासिल करने के लिए दबाव बनाने का आरोप
इससे पहले जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया था कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। वह यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है। इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है।

इसी साल 26 मई को 14 पार्टियों की बैठक में हसीना ने कहा था कि बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ इलाकों को तोड़कर ईस्ट तिमोर जैसा ‘ईसाई देश’ बनाने की साजिश रची जा रही है। एक ‘व्‍हाइट मैन’ ने चुनाव से पहले उन्हें ऑफर भी दिया था कि यदि वह अपने देश की सीमा में आर्मी बेस बनाने की अनुमति देती हैं तो बिना किसी परेशानी के चुनाव कराने दिया जाएगा।

हालांकि शेख हसीना ने ये नहीं बताया था कि वो देश और वो ‘व्हाइट मैन’ कौन है, लेकिन तब भी शक की सुई अमेरिका पर उठी थी।

सिर्फ 3 किमी वर्ग का द्वीप, अरब व्यापारियों ने बसाया
सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा है, वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक इस द्वीप को 18वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों ने बसाया था। उन्होंने इसका नाम ‘जजीरा’ रखा था। इसके बाद यहां ब्रिटिश हुकूमत ने कब्जा कर लिया।

फिर इस द्वीप का नाम चटगांव के डिप्टी कमिश्नर के नाम पर सेंट मार्टिन द्वीप रखा गया। इस द्वीप को बंगाली भाषा में ‘नारिकेल जिंजिरा'(कोकोनट आइलैंड) या फिर दारुचिनी द्वीप (दालचीनी द्वीप) कहा जाता है। यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल आइलैंड (मूंगा द्वीप) है।

यह आइलैंड टूरिज्म के अलावा बिजनेस के लिए भी अहम है। इस द्वीप पर 9 गांव हैं जिनमें करीब 3,700 लोग रहते हैं। इनका व्यवसाय मछली पकड़ना, चावल, नारियल की खेती करना है। यहां के किसान अपनी उपज नजदीकी देश म्यांमार के लोगों को बेचते हैं।

सेंट मार्टिन द्वीप को 'नारिकेल जिंजीरा' या नारियल द्वीप के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां हजारों की संख्या में नारियल के पेड़ हैं।

सेंट मार्टिन द्वीप को ‘नारिकेल जिंजीरा’ या नारियल द्वीप के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां हजारों की संख्या में नारियल के पेड़ हैं।

भौगोलिक स्थिति अहम, यहां से चीन-भारत पर नजर रखा जा सकता है
सेंट मार्टिन की भौगोलिक स्थिति काफी अहम है। द डेली स्टार के मुताबिक यदि कोई देश सेंट मार्टिन में सैन्य बेस बना लेता है, तो वह मलक्का स्ट्रेट के पास उसे बढ़त मिल जाएगी। इस रूट का इस्तेमाल चीन ट्रांसपोर्स के लिए करता है। यह आइलैंड न सिर्फ चीन और म्यांमार पर नजर रखने के काम आ सकता है बल्कि यहां से ये भी पता चल सकता है कि भारत क्या कर रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि म्यांमार भी सेंट मार्टिन आइलैंड पर दावा कर चुका है। 1937 में म्यांमार के ब्रिटिश शासन से अलग होने के बाद भी ये आइलैंड ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना रहा। साल 1947 में भारत के आजाद होने के बाद भी इस आइलैंड पर ब्रिटेन ने अपना कब्जा बरकरार रखा। हालांकि कुछ समय बाद पाकिस्तान ने इस पर कंट्रोल कर लिया।

1971 में पाकिस्तान के अलग होने के बाद बांग्लादेश ने इस आइलैंड पर अपना कंट्रोल हासिल कर लिया। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1974 में बांग्लादेश और म्यांमार दोनों इस समझौते पर पहुंचे थे कि सेंट मार्टिन आइलैंड पर बांग्लादेश का नियंत्रण होगा।

साल 2018 में म्यांमार ने अपने ऑफिशियल मैप में सेंट मार्टिन आइलैंड को अपना हिस्सा बताया। हालांकि बांग्लादेश की आपत्ति के बाद विदेश मंत्रालय ने अपनी गलती मानते हुए इस मैप को हटा दिया। इससे पहले कई बार इस इलाके में म्यांमार के सैनिक बांग्लादेशी नागरिकों पर हमले कर चुके हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस द्वीप का उपयोग रोहिंग्या, म्यांमार से भागने और बांग्लादेश में घुसने करने के लिए भी किया जाता है।

दावा-हसीना बोलीं- बांग्लादेशियों की जान बचाने के लिए इस्तीफा दिया:कहा- अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप दे देती तो सत्ता नहीं जाती, मैं बांग्लादेश लौटूंगी​​​​​​​

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के 6 दिन बाद शेख हसीना ने कहा है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन आइलैंड न देने की वजह से उनकी सरकार गिराई गई है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों से कहा, “मैं कट्टरपंथियों की हिंसा में मरने वालों की संख्या को बढ़ने नहीं देना चाहती थी। वे छात्रों के शवों के जरिए सत्ता हासिल करना चाहते थे। लेकिन मैंने पद छोड़कर ऐसा नहीं होने दिया।” पूरी खबर यहां पढ़ें…

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