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पंजाब में SGPC अध्यक्ष ने अचानक इस्तीफा दिया: अकाल तख्त जत्थेदार की पोस्ट को वजह बताया; ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया – Amritsar News Chandigarh News Updates

पंजाब में SGPC अध्यक्ष ने अचानक इस्तीफा दिया:  अकाल तख्त जत्थेदार की पोस्ट को वजह बताया; ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया – Amritsar News Chandigarh News Updates

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एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि वे नैतिक तौर पर अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। धामी ने इसके पीछे का कारण श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की पोस्ट को बताया है। रघबीर सिंह ने हरप्रीत सिंह को श्री दमदमा साहिब क

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रिजाइन से पहले प्रधान धामी ने उस पोस्ट की लाइनों को भी पढ़ा। उन्होंने कहा कि पोस्ट से जाहिर होता है कि ज्ञानी रघबीर सिंह उन्हें (हरप्रीत सिंह को) पद से हटाने का कारण बता रहे हैं।करीब एक हफ्ते पहले SGPC की तरफ से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया गया था।

धामी बोले- हरप्रीत को हटाने के लिए डेढ़ घंटा तक चर्चा हुई थी धामी ने कहा कि जिस दिन ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने का फैसला लिया गया उस दिन 14 एग्जीक्यूटिव सदस्य साथ थे और डेढ़ घंटा बातचीत हुई। डेढ़ घंटा सभी को बोलने का समय दिया गया था। ताकि किसी के विचार रह ना जाएं, लेकिन प्रधान मुख होता है। इसलिए नैतिक तौर पर मैं इस पद से इस्तीफा देता हूं। गुरु साहिब कृपा करें।

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी सिखों की प्रबंधकीय संस्था है और श्री अकाल तख्त साहिब सिखों का सिरमौर (उच्च) तख्त है। शिरोमणि अकाली दल भी इस तख्त का संगठन है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह का अकाली दल पर हमला

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हरजिंदर सिंह धामी के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पंथक परंपराओं और मर्यादाओं के जानकारों से सजीव है, लेकिन पंजाब सरकार और नेताओ द्वारा अपनी निजी लाभ के लिए इन मर्यादाओं को प्रभावित किया जा रहा है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक व्यवस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि पंथक संस्थानों को पंगु बनाया जा रहा है और जो भी व्यक्ति पंथ की सेवा के लिए समर्पित है, उसे हतोत्साहित किया जा रहा है या फिर दबाव डालकर हटाया जा रहा है।

अंत में उन्होंने लिखा कि यदि ऐसे ही हालात रहे, तो बंद मुट्ठी को खोलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने अकाल पुरख से प्रार्थना करते हुए गुरु साहिबान की संगत और सिख समुदाय के हितों की रक्षा करने की अपील की है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह की तरफ से की गई पोस्ट।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह की तरफ से की गई पोस्ट।

अब पढ़िए जत्थेदार​​​​​​​ रघबीर की पोस्ट की 3 अहम बातें…

1. हरप्रीत सिंह को पद से हटाने का कारण उचित नहीं पिछले दिनों जिस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं, मैं उन्हें हर पहलू से गंभीरता से देख रहा हूं। इन हालातों से मेरा मन अत्यंत दुखी है। तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पद से हटाने का कारण और तरीका बिल्कुल भी उचित नहीं है।

2. योजनाबद्ध तरीके से माहौल बनाया 2 दिसंबर 2024 को श्री अकाल तख्त साहिब से पंथक भावनाओं और परंपराओं के अनुरूप लिए गए फैसलों के बाद ही ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सिंह साहिबान के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से माहौल बनाया जा रहा है। सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ 18 साल पुराने पारिवारिक मामले को गलत रूप देकर मीडिया ट्रायल चलाया गया। इस संबंध में बतौर जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, मैंने शिरोमणि कमेटी द्वारा जांच समिति गठित करने के समय भी कहा था कि यह सही नहीं है। यदि किसी भी तख्त साहिब के जत्थेदार साहिब के खिलाफ किसी प्रकार के आरोपों की जांच की आवश्यकता हो, तो यह केवल श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा ही कराई जा सकती है।

3. तख्त साहिबानों के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाने वाला कदम सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को फिर भी पद से सेवामुक्त करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह जत्थेदार साहिबान को अपमानित कर सेवामुक्त करना अत्यंत निंदनीय कृत्य है। एक बार फिर मैं अपने अंतःकरण से कहना चाहता हूं कि सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सेवामुक्त करना अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है, जो कि तख्त साहिबानों की स्वतंत्रता और अस्तित्व को भी नुकसान पहुंचाने वाला कदम है। गुरु राखा…

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की पोस्ट…

2 दिसंबर के बाद शुरू हुए विवाद इस मामले को 2 दिसंबर से शुरू हुए विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है। ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से शेयर की गई पोस्ट में भी 2 दिसंबर का ही जिक्र है। वहीं, ज्ञानी हरप्रीत सिंह भी लगातार उन पर हुई कार्रवाइयों के लिए 2 दिसंबर के फैसले को ही बताते आए हैं।

2 दिसंबर- श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदार की बैठक बुलाई गई थी। इसमें अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर बादल और मंत्रियों को भी सजा सुनाई गई थी।

16 दिसंबर- श्री मुक्तसर साहिब निवासी गुरप्रीत सिंह ने 16 दिसंबर 2024 को एसजीपीसी अध्यक्ष के समक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। दावा किया था कि उसकी शादी ज्ञानी हरप्रीत सिंह की साली से हुई। हरप्रीत ने विवाहित जीवन में हस्तक्षेप किया और उनकी पत्नी को बहकाया, जिस कारण उनका तलाक हो गया। उसने दावा किया कि हरप्रीत ने उन्हें परेशान करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और उन्हें अदालती मामलों में उलझाया।

19 दिसंबर- एसजीपीसी ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ मिली शिकायत की जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी का गठन किया। जिसमें एसजीपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क, महासचिव शेर सिंह मंडवाला और कार्यकारी सदस्य दलजीत सिंह भिंडर को शामिल किया गया। इसी दिन शाम ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें उनके पद से हटाने की कवायत शुरू हो गई है। उन सदस्यों को जांच सौंपी गई है, जिन्हें कभी उन्होंने सजा सुनाई थी।

20 दिसंबर- अगले ही दिन जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने जांच का विरोध कर दिया था। उन्होंने कहा था कि किसी भी जत्थेदार पर कार्रवाई का निर्णय श्री अकाल तख्त साहिब का होता है। अगर एसजीपीसी जांच कर रही है तो मर्यादा का ध्यान रखा जाए। इस पूरे घटनाक्रम के बीच कई बार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अपनी बात को दौहराया।

23 जनवरी- ज्ञानी हरप्रीत सिंह के मुद्दे पर चर्चा के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 28 जनवरी को पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक बुलाई थी। लेकिन ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस बैठक को स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा था कि विदेश से लौटने के बाद यह बैठक फिर से बुलाई जाएगी।

10 फरवरी- एडवोकेट धामी की तरफ से 10 फरवरी को बैठक बुलाई गई। बैठक में एजेंडा प्रबंधकीय कामों को बताया गया। लेकिन हिडन एजेंडा ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई को रखा गया। 14 सदस्यों में से 13 इस बैठक में पहुंचे। जिनमें परमजीत सिंह रायपुर के अलावा दो अन्य सदस्यों ने विरोध भी दर्ज किया और कहा कि इसका एजेंडे में जिक्र नहीं था। उन्होंने ज्ञानी रघबीर सिंह की बात भी दोहराई कि जत्थेदार पर कार्रवाई का फैसला श्री अकाल तख्त साहिब का होता है। इसके बाद कमेटी का फैसला मान लिया गया और ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाओं को समाप्त कर दिया।

4 महीने पहले चौथी बार प्रधान बने थे धामी 28 अक्टूबर 2024 को एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी चौथी बार SGPC के प्रधान चुने गए थे। धामी को 107 वोट मिले। वहीं बागी गुट की उम्मीदवार बीबी जागीर कौर को सिर्फ 33 वोट मिले थे।

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