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अपनी थाली भी चाहे हम किसी को दे लेकिन कभी भी अपना आसन किसी को नहीं देना चाहिए। कर्ण ने जब अपना कवच और कुंडल दान रूप में दे दिया तो उसके पास मरने के सिवाय और कोई चारा नहीं था। इसी तरह एक नट अपना संपूर्ण जीवन ध्रुव तारे की तरह बिताता है। जो केवल नाविकों, सैनिकों और भूले भटके राही को रास्ता दिखाता है, इसके अलावा और कुछ भी नहीं। नाटक नट सम्राट से यह सीख दी गई। सेक्टर-18 के टैगोर थिएटर में वीरवार को तीन दिवसीय हिमाचल थिएटर फेस्टिवल के पहले दिन नाटक नट सम्राट का मंचन हुआ। यह आयोजन चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से हो रहा है। भूपेंद्र शर्मा के निर्देशन में शिमला के कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक का लेखन विष्णु वामन शिरवाडकर ने किया है।
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VIDEO : हिमाचल थिएटर फेस्टिवल, टैगोर में नाटक नट सम्राट का मंचन