{“_id”:”67a8eafa28f20c0de00d1584″,”slug”:”young-farmers-of-didwara-village-are-inspiring-people-towards-natural-farming-jind-news-c-199-1-jnd1002-129754-2025-02-09″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jind News: गांव डिडवाड़ा के युवा किसान प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों को कर रहे प्रेरित”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
09जेएनडी17-खेत में काम करते हुए किसान विजेंद्र शर्मा। संवाद – फोटो : -रोडवेज के बाहर सवारियों के इंतजार में खड़े ई-रिक्शा व ऑटो।
सफीदों। सफीदों उपमंडल के गांव डिडवाड़ा में 36 वर्षीय युवा किसान विजेंद्र शर्मा किसानों व अन्य लोगों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। वह बिना खाद व दवाई के एक एकड़ में गेहूं व धान के साथ-साथ सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि उनकी फसलें व सब्जियां बाजार से अधिक भावों में बिक रही हैं।
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उनका मकसद है कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों का प्रयोग करके स्वस्थ समाज का निर्माण किया जाए। विजेंद्र शर्मा ने बताया कि इसकी प्रेरणा उन्हें आयुर्वेदाचार्य राजीव दीक्षित से मिली है। वह पिछले तीन सालों से किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। उसने बताया कि वह जंगल मॉडल से खेती कर रहे हैं। फिलहाल उसने प्राकृतिक खेती की शुरुआत एक एकड़ से की है। आगे उनका लक्ष्य पांच एकड़ में प्राकृतिक तरीके से फसल उगाने का है।
विजेंद्र शर्मा ने बताया कि वह प्राकृतिक खेती करने के लिए एक एकड़ में पांच किलो गोबर, 5 किलो मूत्र, एक किलोग्राम गुड़, एक किलो बेसन व एक किलो पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी डालकर घोल तैयार करते हैं। फसल लगाने के बाद उस घोल को तीन से चार बार पानी के खाल में डालकर फसल तक पहुंचाता है। इस घोल के माध्यम से खेत में अपने आप जीवामृत पैदा हो जाते हैं। जीवामृत के माध्यम से जमीन में पानी की कमी नहीं रहती और वाटर रिचार्जिंग का भी काम हो जाता है। जमीन में हमेशा नमी रहती है और जमीन सख्त नहीं होती।