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परमजीत का पूरा परिवार – फोटो : संवाद
विस्तार
डॉलर की खनक के साथ सुनहरे भविष्य के सपने कथित एजेंटों ने दिखाए तो मूल रूप से करनाल के हैबतपुर गांव व हाल में परसू राम कॉलोनी में रह रहे परमजीत का पूरा परिवार ही जाल में फंस गया। एक करोड़ 20 लाख रुपये जुटाने के लिए घर बेचा तो खेत की जमीन पर लोन लिया। रिश्तेदारों व पहचान के लोगों से भी रकम उठाई। रकम एजेंटों को थमाई तो प्रताड़ना झेलते हुए अमेरिका पहुंचे, जहां से 12 दिन बाद ही हाथों में हथकड़ी व पांवों में जंजीर बांधकर संगीन अपराधियों की तरह वापस भेज दिया गया।
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अब यह परिवार न केवल सदमे में हैं बल्कि एक माह के दौरान दी गई यातनाएं याद कर फफक-फफक कर रोने लगता है। रिश्तेदारों के घर पर ठहरे परिवार की बेबसी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रिश्तेदारों से लेकर पहचाने के लोग पहुंच रहे हैं, जाे ढांढस बधां उनकी हिम्मत बढ़ा रहे हैं। आरोपी एजेंटों ने संपर्क करने तक का प्रयास नहीं किया तो अब पुलिस व सरकार से न्याय की उम्मीद है, जिसके चलते पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी ।
जिंदा रखने के लिए देते थे कुछ खाना, दो घंटे बाद नींद से भी उठा देते थे
परमजीत ही नहीं उनकी पत्नी के साथ-साथ आठवीं कक्षा में पढ़ाई करने वाला बेटा व 10वीं की बेटी यातनाएं भूल नहीं पा रही। ये सभी सिंहर उठते हैँ। परमजीत बताते हैं कि डोंकर से लेकर माफिया तक किसी ने भी कोई रहम नहीं की। जंगल में रात को पांच-पांच किलोमीटर एक साथ चलाते थे। खाने व पीने की मांग करते तो यही कहा जाता आगे मिलेगा।
उन्हें ऐसी जगह रोका जाता था जहां मोबाइल में रेंज तक नहीं होती। वहां उन्हें मारपीट कर डराया जाता था। किसी तरह मैक्सिको पहुंचे तो वहां पर भी उनके साथ मारपीट की जाती। पहले उसे करंट लगाया गया। फिर बच्चों को करंट लगाने लगे तो मजबूरी में परिजनों को फोन कर झूठ बुलवाते थे कि अमेरिका पहुंच गए। बाकी भुगतान कर दो। कैंप में भी कभी एसी चला दिया जाता तो कभी हीटर। रात को भी दो घंटे बाद ही नींद से उठा देते थे। खाने के लिए भी सिर्फ जिंदा रखने के तौर पर ही कुछ देते थे।
सोचा था बच्चों का भविष्य बन जाएगा
परमजीत बताते हैं कि वे अपने गांव से कुरुक्षेत्र आए थे ताकि शहर के स्कूल में बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें। यहां बच्चे पढ़ाई करने लगे तो घर भी बना लिया। इसी दौरान आरोपी एजेंट से मुलाकात हो गई। उसने हसीन सपने दिखाते हुए उलझा लिया और कहा कि हर व्यक्ति से अमेरिका भेजने के 45 लाख रुपये लेते हैं लेकिन पूरा परिवार है तो 30 लाख प्रति सदस्य स्कीम के तहत भेज देंगे। वहां उन्हें काम भी मिल जाएगा तो बच्चों की अच्छी पढ़ाई भी हो जाएगी। महज आठवीं तक पढ़ा होने के चलते वह बच्चों के अच्छे भविष्य को लेकर वह जाल में फंस गया और सोचा की पहले बेटी करीब ढाई साल से पढ़ाई के लिए गई हुई है तो वे भी साथ में ही रहते हुए पढ़ाई कर लेंगे।
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एजेंटों के जाल में फंसा करनाल का परिवार: घर बेचकर व जमीन पर लोन लेकर जुटाए थे एक करोड़ 20 लाख, छीने पासपोर्ट