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डॉलर की चाहत और 21 देश पार कर पहुंचा US…किसान ने बताई बेटे को अमेरिका भेजने के पीछे की मजबूरी Haryana News & Updates

डॉलर की चाहत और 21 देश पार कर पहुंचा US…किसान ने बताई बेटे को अमेरिका भेजने के पीछे की मजबूरी Haryana News & Updates

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Agency:News18 Haryana

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USA Illegal Migrant Deport: अमेरिका में ट्रंप सरकार के तहत 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जिसमें हरियाणा के निशांत भी शामिल थे। निशांत ने डंकी के रास्ते अमेरिका जाने और वापसी की खौफनाक कहानी बताई.

हरियाणा के सोनीपत के युवक को भी यूएस से डिपोर्ट किया गया है.

हाइलाइट्स

  • ट्रंप सरकार ने 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया.
  • निशांत ने डंकी के रास्ते अमेरिका जाने की कोशिश की.
  • निशांत के पिता ने 45 लाख रुपए का कर्जा लिया.

सोनीपत. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार बनते ही अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को वापिस भेजने की तैयारी शुरू हो गई है. 104 भारतीयों को अमृतसर एयरपोर्ट पर डिपोर्ट भी किया गया, जिसमें हरियाणा और पंजाब के अधिकतर युवा शामिल थे. इन्हें हरियाणा और पंजाब पुलिस ने उनके घरों पर भिजवाया. सोनीपत के गांव खानपुर खुर्द के रहने वाले निशांत को भी वापिस भेज दिया गया है. निशांत ने डंकी के रास्ते अमेरिका जाने और वापसी की खौफनाक मंजर के साथ-साथ अमेरिकी सेना और पुलिस की यातनाओं की रूह कंपा देने वाली कहानी बताई.

निशांत अमेरिका जाना चाहता था. वह डॉलर कमा कर अपने पिता का सहारा बनना चाहता था और अपनी तीन छोटी बहनों की पढ़ाई का खर्चा उठाना चाहता था. यह युवक हरियाणा के सोनीपत के छोटे से गांव खानपुर खुर्द का रहने वाला निशांत है. निशांत के पिता नरेंद्र खेती करते हैं और इसी खेती से बेटे को पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया. लेकिन बेटे को विदेश जाने की चाह थी. इस परिवार का संपर्क करनाल के नूरन खेड़ा निवासी राजेश नरवाल के साथ हुआ.

राजेश नरवाल ने इस परिवार को झांसे में लेकर 45 लाख रुपए ले लिए और निशांत को डंकी के रास्ते अमेरिका जाने का मौका मिल गया. मई माह से निशांत को करीब 21 देशों के खतरनाक रास्तों से गुजर कर अमेरिका पहुंचना था. निशांत ने बताया कि अमेरिकी सेना ने भारतीयों के साथ बहुत दुर्व्यवहार किया. हमें बीफ खाने को दिया गया, लेकिन हम हिंदू थे तो हमने नहीं खाया. अमेरिकी सेना ने हमें जहाज में बैठाकर बेड़ियों से जकड़कर 55 घंटे में भारत लाया. डंकी के रास्ते जाने में हर दिन मौत देखी गई. हमारे साथ कई युवा डंकी के रास्ते गए थे, उनकी जान चली गई. निशांत की कहानी रूह कंपा देने वाली थी.

चार बच्चों के पास नौकरी नहीं

2 सोनीपत के खानपुर खुर्द के एक छोटे से किसान नरेंद्र ने अपने बेटे निशांत को अमेरिका भेजने का जो तर्क दिया, उसे सुनकर हरियाणा सरकार भी सोचने को मजबूर हो जाएगी. उन्होंने बताया कि उनके चार बच्चे हैं, तीन बेटियां और एक बेटा. बेटियां सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है. बेटे को 45 लाख रुपए का कर्जा लेकर अमेरिका भेजा था, यह सोचकर कि बेटियों की पढ़ाई से लेकर घर चलाने में मदद मिलेगी. लेकिन गलत तरीके से भेजने का अंजाम गलत होता है. अमेरिका ने भारतीयों को जिस हालत में घर भेजा, वह तो अधिकारों के भी खिलाफ है. नरेंद्र छोटे से गांव के साधारण व्यक्ति हैं, तो बेटे के घर लौटने की खुशी भी हो रही है.

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