{“_id”:”679fac10c01490d27209052a”,”slug”:”ten-anganwadis-will-be-built-143-will-be-repaired-ambala-news-c-36-1-ame1006-136977-2025-02-02″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Ambala News: दस आंगनबाड़ियां बनेंगी, 143 होंगी रिपेयर”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
बराड़ा खंड में बना आंगनबाड़ी केंद्र। विभाग
अंबाला सिटी। कई वर्षों के इंतजार के बाद अब जिले की आंगनबाड़ियां अब रिपेयर होने जा रही हैं। तीन माह पहले मिले बजट के बाद अब 143 आंगनबाड़ियों को रिपेयर करने का कार्य शुरू हो गया है।
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इसके साथ ही जिले में 10 आंगनबाड़ी केंद्रों को दोबारा बनाया जाएगा। फिलहाल विभाग ने 51 आंगनबाड़ी केंद्रों को रिपेयर करवाया है तो वहीं पांच आंगबाड़ी नई बनाई हैं। आर्थिक वर्ष समाप्त होने से पहले विभाग को सारा बजट खर्च करना है। जिसमें रिपेयर व नव निर्माण का कार्य शामिल है।
एक में दो केंद्रों के बच्चे
जिले में 1213 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमें से अधिकतर की हालत खस्ता है। ग्रामीण स्तर पर तो इतने बुरे हाल हैं कि यहां पर एक ही केंद्र में दो-दो केंद्रों के बच्चों को बैठाना पड़ता है। कहीं पर फर्श टूटा है तो किसी केंद्र की छत गिरने वाली है। बीते 10 वर्षों में एक बार भी आंगनबाड़ी केंद्रों की इस स्तर पर रिपेयर नहीं हुई है। इसलिए कई केंद्र तो खंडहर हो गए हैं।
पांच केंद्र नए बने, 51 का सुधार
अंबाला के बैबलपुर , हुमायुपुर, महमूदपूर, दुखेड़ी और नारायणगढ़ खुलड़पुर में नए आंगनबाड़ी केंद्र बनाए हैं। जबकि खेड़ा, ठाकुरपुरा, टपारिया, पपलोथा गांव में नए केंद्रों का कार्य 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। वहीं सैनी माजरा के केंद्र के लिए अभी जमीन मिलने की परेशानी चल रही है। वहीं, बराड़ा में सात , शहजादपुर में 16 , साहा में 12 आंगनबाड़ी केंद्र सहित 51 केंद्र रिपेयर हुए हैं।
रिपेयर के लिए मिले 1.87 करोड़
आंगनबाड़ियों की रिपयेर का कार्य जिला परिषद के चेयरमैन पद को लेकर चल रहे मामले के कारण रूक गया था। जबकि बजट काफी पहले ही आ गया था। जिले में कुल 143 आंगनबाड़ी केंद्रों को रिपेयर करने के लिए एक करोड़ 87 लाख रुपए का बजट जारी हुआ था। जबकि 10 नए केंद्र बनाने के लिए कुल बजट एक करोड़ 42 लाख 56 हजार रुपए मिला है।
वर्जन
निदेशालय की ओर से जो भी बजट जारी हुआ है उसे जिला परिषद के पास ही भेजा जाता है। हमारी ओर से रिपेयर की मांग भेजी जाती है। अब 143 केंद्रों का सुधार हो रहा है। इससे बच्चाें और अभिभावकों को भी राहत मिलेगी।