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अमेरिका में बाइडेन सरकार ने सऊदी अरब को खतरनाक हथियार बेचने पर लगे बैन को हटा दिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका सऊदी को हवा से जमीन पर हमला करने वाले हथियार ट्रांसफर कर रहा है। इसी को देखते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंध हटाया है।
दरअसल, साल 2021 में यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी के युद्ध में आम नागरिकों की मौत हो रही थी। इसका विरोध करने के लिए अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद 2022 में UN की मध्यस्थता से यमन और सऊदी में समझौता हो गया। इसके बाद सऊदी ने वहां एयरस्ट्राइक करना बंद कर दिया।
अमेरिका बोला- सऊदी अरब ने अपने हिस्सा का वादा पूरा किया
अमेरिकी अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि सऊदी ने अपने हिस्से की डील पूरी की है और अब हम अपना वादा निभाएंगे। अमेरिकी कानून के मुताबिक, किसी भी देश को बड़े हथियार सप्लाई करने से पहले संसद से मंजूरी लेनी पड़ती है।
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टी के नेताओं यमन में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाकर कई बार सऊदी को हथियार सप्लाई करने पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, इजराइल और हमास में जंग की शुरुआत के बाद यह विरोध कम हो गया है।
पिछले साल सऊदी और हूथियों में हुआ था समझौता
पिछले साल अप्रैल में सऊदी अरब और हूतियों के बीच सीजफायर समझौता हुआ था। अलजजीरा के मुताबिक, सऊदी और ओमान के डेलीगेशन ने यमन के सबसे ज्यादा हिस्से में कब्जा करने वाले हूती विद्रोहियों के हेड मेहदी अल मशत से मुलाकात की थी। दोनों पक्षों ने यमन में शांति स्थापित करने पर जोर दिया था।
BBC के मुताबिक, समझौते में तय हुआ था कि 9 साल तक चली जंग के बाद मिलकर यमन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को वेतन दिया जाएगा। सारे एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों को खोल दिया जाएगा। देश से सारी बाहरी ताकतों को निकाला जाएगा।
मैप में देखें अरब देशों में किस समुदाय का दबदबा है…
यमन में 2014 में शुरू हुआ था गृह युद्ध
यमन में हूती विद्रोहियों ने 2014 में सऊदी के समर्थन वाली सरकार को हटा दिया था। इसके बाद 2015 में सऊदी के नेतृत्व वाले मिलिट्री अलायंस ने ईरान समर्थित हूतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस जंग में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। इसके बाद यमन की 80% जनता मानवीय सहायता पर निर्भर हो गई।
यमन में गृह युद्ध की मुख्य वजह शिया और सु्न्नी विवाद था। दरअसल यमन की कुल आबादी में 35% की हिस्सेदारी शिया समुदाय की है जबकि 65% सुन्नी समुदाय के लोग रहते हैं। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद रहा था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत हुई तो गृह युद्ध में बदल गया।
देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
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सऊदी को खतरनाक हथियार दे सकेगा अमेरिका:3 साल से लगा बैन हटाया; यमन में मासूमों के खिलाफ इस्तेमाल के चलते लगा था प्रतिबंध