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एआई चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अमेरिकी प्रस्ताव के प्रभाव का भारत आकलन कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इस कदम से यहां उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास पर असर पड़ सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने एक नया फ्रेमवर्क प्रस्तावित किया है, जो उत्पादकों और अन्य देशों की टेक्नोलॉजी तथा आर्थिक हितों से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण एआई चिप के आयात को प्रतिबंधित करता है। प्रस्ताव में ग्रुप-1 के अंतर्गत रखे गए अमेरिका के 18 प्रमुख सहयोगियों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।
ग्रुप-2 में रखा गया है भारत
हालांकि, भारत सहित ग्रुप-2 के अंतर्गत अन्य देशों को निर्यात की जाने वाली मात्रा सीमित हैं। सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं।” सेमीकंडक्टर उद्योग निकाय आईईएसए ने कहा है कि प्रस्तावित प्रतिबंध देश की एआई हार्डवेयर संबंधी योजना को चुनौती देंगे, जो उभरती प्रौद्योगिकियों के स्थानीय विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारत के राष्ट्रीय एआई मिशन का लक्ष्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से 10,000 से अधिक जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है, जिसे पांच वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश से समर्थन मिलेगा।
भारत पर कितना पड़ेगा असर
इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के अध्यक्ष अशोक चांडक ने बयान में कहा, “अल्पावधि में नए निर्यात नियंत्रण भारत पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डाल सकते हैं। हालांकि, लाइसेंस और व्यापार वार्ता को सुरक्षित करने की अनिश्चितता बड़े पैमाने पर एआई हार्डवेयर तैनाती के लिए भारत की महत्वाकांक्षाओं को चुनौती दे सकती है।” उन्होंने कहा कि निर्यात नियंत्रण 120 दिन में प्रभावी हो जाएंगे, जिससे निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में आने वाले प्रशासन को इन नियमों में संशोधन करने का अवसर मिल जाएगा। प्रस्तावित रूपरेखा समूह-3 के देशों को एआई चिप के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगाती है, जिसमें चीन, रूस, ईरान और इराक शामिल हैं।
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अमेरिका लाया AI चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव, भारत पर कितना पड़ेगा असर? – India TV Hindi