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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Make Children Practice The Experience Of Failure
पं. विजयशंकर मेहता
आगे आने वाले समय में बहुत सारी चीजें अचानक होने वाली हैं। जीवन में बहुत कुछ अकस्मात होता है। और जब संयोगवश हो जाए तो आप उसको दैववश मान लें और हतोत्साहित न हों। बच्चों को इस बात का अभ्यास कराना चाहिए कि जब भी असफल हों, एक सूची बनाएं कि बिना मदद के हम क्या-क्या कर सकते हैं। खासतौर पर असफल होने पर।
और बड़े भी इस बात पर विचार करें कि यदि कोई भी आपकी मदद न करे, तब आप क्या-क्या अनूठा कर सकते हैं। और जब आपका कोई बच्चा असफल हो तो उसको अपने क्रोध का कारण न बनाएं। पहले उसे सुनें, फिर अपने सुझाव दें। असफलता की स्थिति में बच्चों का दो शब्दों से परिचय कराएं। एक है अभ्यास, दूसरा है वैराग्य। अभ्यास यानी प्रयत्न। आपने क्या किया और आगे क्या कर सकते हैं।
दूसरा वैराग्य, क्योंकि वैराग्य एक भाव है। जब हम असफल हो जाएं, तो वैराग्य भाव हमें आश्वस्त करता है कि निराश मत हो, टूटो मत, आपके भाग्य का आपको मिलेगा, पुनः परिश्रम के लिए तैयार हो जाओ।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बच्चों को असफलता के अनुभव का अभ्यास कराएं