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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
जब से मैं प्रयागराज के तीन दिन के दौरे से लौटा हूं, कई पाठकों जैसे श्रीगंगानगर से पोस्ट मास्टर विशाल भारद्वाज और अजमेर से प्रहलाद पारीक ने मुझे ईमेल करके इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की अपनी यात्रा के बारे में बताया है। कई लोग कुछ सुझाव भी चाह रहे हैं। हालांकि मैंने जितना संभव हुआ, उन सबको व्यक्तिगत रूप से सलाह दी, लेकिन यहां कुछ सामान्य सलाह आप सबसे भी साझा करना चाहता हूं।
महाकुंभ में व्यवस्था संभाल रहे पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस दौरान साइबर अपराधियों से भक्तों की सुरक्षा हो। उन्होंने प्रयागराज जिला साइबर सेल, स्थानीय पुलिस इकाइयों सहित कम से कम 150 पुलिस कर्मियों को संदिग्ध वेबसाइटों, सोशल मीडिया गतिविधि व अन्य साइबर धोखाधड़ी की निगरानी के लिए साइबर पेट्रोलिंग पर लगाया है।
हालांकि वायर्ड दुनिया में ये जरूरी भी है, खासकर जब साइबर अपराधी घात लगाए हों, पर मुझे अंदेशा है कि इतनी भीड़भाड़ वाले इलाके में मोबाइल काम करेंगे या नहीं। जब मैंने पेट्रोलिंग पुलिस, फायर ब्रिगेड वालों, मानव सुरक्षा में शामिल कई कर्मचारियों से बात की, तो वे सभी सहमत थे कि पहले के सभी कुंभ में मोबाइल नेटवर्क असफल साबित रहे और आपस में बातचीत के लिए वे वॉकी-टॉकी पर निर्भर थे, जबकि मोबाइल सर्विस कंपनियों ने बेहतर संचार सुविधाओं का वादा किया है। अब जब महाकुंभ शुरू होने में महज चार दिन बाकी हैं, ऐसे में यहां जाने की योजना बनाने वालों के पास प्लान बी भी होना चाहिए। इसमें शामिल है ः
1. कीमती चीजें लाने से बचें। याद रखें कि यह यात्रा दूसरों को कुछ भी दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि ये आपके और आपकी आस्था के बीच एक संबंध स्थापित करने का जरिया है। और ईश्वर को आपकी कीमतों चीजों से कोई मतलब नहीं।
2. अपने साथ कुछ अतिरिक्त मंकी कैप, मफ्लर, खासकर स्लिपर रखें, क्योंकि इनके खो जाने या किसी और का पैर पड़ने से इनके टूट जाने की सबसे ज्यादा आशंका है।
3. सारे जरूरी फोन नंबर कागज पर लिख लें, इसमें पड़ोसियों का नंबर भी लिखें। साथ ही कुछ जरूरी पासवर्ड (सभी नहीं) और पते (स्थायी व प्रयागराज का मौजूदा पता, जिसमें लैंडलाइन नंबर हो) भी लिखें और इसकी कुछ फोटोकॉपी करा लें। इन्हें यात्रा में साथ आए रिश्तेदारों या परिचितों को बांट दें और उन्हें कहें कि इसे पॉलीथिन में कवर करके जेब में सुरक्षित रखे रहें, ताकि पानी पड़ने पर ये खराब न हो।
4. आपस में एक-दूसरे को यह बात बताते रहें कि अगर भीड़ में खो जाएं, तो तयशुदा मीटिंग पॉइंट कहां है और दूसरे व्यक्ति के आने तक किसी को कितनी देर इंतजार करना है।
5. सारे रिश्तेदार, खासकर बच्चों को समझाएं कि अगर उनकी जैकेट, जूते, मंकी कैप या कलाई घड़ी जैसी कोई चीज भी खो जाए, तो चिंता न करें क्योंकि कई लोग छोटी-मोटी चीजों की तलाश में खो जाते हैं, जबकि ये चीजें हमेशा ही ली जा सकती हैं। उन्हें कहते रहें कि सारे रिश्तेदारों की जिंदगी व सुरक्षा, खोए महंगे से महंगे सामान से भी ज्यादा कीमती है।
6. कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट पर ही निर्भर न रहें, क्योंकि कई बार वहां नेटवर्क मदद नहीं कर सकता। अपने पास कुछ नकद पैसे रखें, वो भी छोटे-छोटे नोट के रूप में अलग-अलग जेब में रखें। अपनी टाइट पॉकेट में पर्स न रखें, जो कि बाहर से ही दिखाई देता है।
7. जहां भी ठहरें, सुनिश्चित करें कि आपके सूटकेस का नंबर लॉक किसी को न दिखे। जब सीक्रेट नंबर से सूटकेस खोल लें, तुरंत ही नंबर को स्क्रॉल कर दें, ताकि आपके कमरे की सफाई करने आने वाला हाउसकीपिंग स्टाफ भी इसे पढ़ न सके।
8. अपने कमरे में पर्याप्त आराम करें और ऊर्जा बचाएं, क्योंकि स्नान करके आने में 7 से 8 घंटे लग सकते हैं। ड्राइविंग और ट्रेन यात्रा में भी चौकस रहने के लिए ऊर्जा बचाएं।
फंडा यह है कि जब भी महाकुंभ जैसे किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर हों, तो वहां मोबाइल फोन पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता सही नहीं है। तनाव कम करने के लिए पॉकेट डायरी साथ रखें, जिसमें जरूरत की जानकारी हो।
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एन. रघुरामन का कॉलम: महाकुंभ के दौरान मोबाइल पर ही निर्भर मत रहिए…