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फरीदाबाद. फरीदाबाद के कोट गांव की अरावली पहाड़ी में हाल ही में पाषाण काल के आदि मानव और जानवरों के हजारों वर्ष पुराने निशान मिले हैं. इन निशानों में पैरों और हाथों के प्रिंट के साथ-साथ जानवरों की आकृतियां भी उकेरी गई हैं. यह खोज भारतीय पुरातत्व के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो पाषाण काल के मानव जीवन और उनके पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान करती है.
पुरातत्व विभाग के तेजवीर मावी ने Local18 को बताया कि पहाड़ी पर 30 सेंटीमीटर तक के पैर के निशान और 19 से 35 सेंटीमीटर के हैंड प्रिंट पाए गए हैं. इन प्रिंट्स में उंगलियों के स्पष्ट निशान हैं जो उस समय के मानव के शारीरिक आकार और जीवनशैली का संकेत देते हैं. यह संभव है कि आदि मानव के हाथ और पैर वर्तमान मानव के मुकाबले बड़े और शक्तिशाली थे.
पत्थरों पर जानवरों और आकृतियों की नक्काशी
आदि मानव ने पत्थरों पर छोटे-छोटे पशु-पक्षियों की आकृतियां उकेरी हैं. यह नक्काशी सफेद रंग के माइक्रोनैतिक टूल्स से की गई है, जिनकी उम्र 3,000 से 30,000 वर्ष पुरानी मानी जाती है. इन उपकरणों से आदि मानव ने पत्थरों पर हाथ, पैर, और जानवरों की आकृतियां बनाई थीं. यह कला उस समय के मानव की रचनात्मकता और सांस्कृतिक विकास को दर्शाती है.
पाषाण काल का जीवन और तकनीक
पाषाण काल के दौरान मानव जंगलों में पत्थरों और गुफाओं पर निर्भर था. पत्थरों से शिकार करना और गुफाओं में रहना उनकी जीवनशैली का हिस्सा था. हथौड़े और अन्य आधुनिक उपकरणों के अभाव में, आदि मानव ने पत्थरों का उपयोग नक्काशी के लिए किया. इन निशानों और आकृतियों से यह संकेत मिलता है कि आदि मानव ने अरावली को छोड़ने से पहले अपनी उपस्थिति दर्ज की थी.
इतिहास की परतें और खोज की संभावना
अरावली में आयरन की परतों के नीचे ये निशान और नक्काशियां पाई गई हैं. यह खोज इतिहास की गहराइयों में जाने का अवसर प्रदान करती हैं. पहाड़ी में और अधिक खोजबीन करने पर मानव सभ्यता के और भी महत्वपूर्ण प्रमाण मिल सकते हैं. इस खोज ने अरावली की पहाड़ियों को ऐतिहासिक दृष्टि से और भी मूल्यवान बना दिया है. यह हमें न केवल आदि मानव के जीवन को समझने का अवसर देती है बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करने की प्रेरणा देती है.
Tags: Faridabad news today, Latest hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : January 8, 2025, 14:01 IST
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