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- N. Raghuraman’s Column Whenever Religion Is In Harm’s Way, Someone Comes To Protect It
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
आपको वो दिन याद हैं, जब दुकानदार, टोल प्लाजा वाले छुट्टे पैसों के बदले टॉफी दिया करते थे? तब हम उन्हें कोसकर उन टॉफियों को स्वीकार कर लेते थे, जिन्हें हम कभी नहीं खाते थे।
जब हम वापसी में उन्हें वे ही टॉफियां लौटाने की कोशिश करते और वो उन्हें नहीं लेकर छुट्टे पैसों के ऐवज में हमें कुछ और टॉफियां दे देते तो हम उन्हें और भला-बुरा कहने लगते थे। वे बेखबर ग्राहकों को लूटते थे। वे इन टॉफियों को थोक के दाम खरीदकर उन्हें खुदरा कीमतों में बेचते थे। कई सप्ताहों में यह छोटी-सी राशि बड़ी रकम बन जाती थी।
आखिरकार, ईश्वर ने हमारी प्रार्थनाएं सुनीं और हमें यूपीआई और फास्ट टैग मिले। तब मुझे गीता की याद आई, जिसमें भगवान कृष्ण कहते हैं : हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। नैतिक लोगों की रक्षा करने, दुष्टों को दंडित करने और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए मैं प्रत्येक युग में अवतार लेता हूं।
इस सप्ताह की शुरुआत में प्रयागराज के चौक क्षेत्र में टहलते हुए मुझे यह फिर से याद आया। यहां कभी नीम का पेड़ हुआ करता था और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को यहां फांसी दी गई थी। वहां से 20 फीट की दूरी पर 1913 में निर्मित एक सुंदर घंटाघर है।
इसके बहुत करीब मीरगंज क्षेत्र था, जहां पं. मोतीलाल नेहरू, पं. जवाहरलाल नेहरू, पं. मदन मोहन मालवीय और पं. हरिप्रसाद चौरसिया जैसे लोग रहते थे। मैं पुराने शहर के हर रूप को अपनी आंखों में कैद कर रहा था। यह पारम्परिक बाजारों में से एक है, जहां कपड़ों से लेकर मसालों तक सब कुछ बिक रहा था।
मैं लोकनाथ गली में दाखिल हुआ, जो शहर का दिल और पेट दोनों है, क्योंकि यहां खाने-पीने की अनगिनत दुकानें हैं। यहां हम कोई पैसा चुकाए बिना हर तरह के व्यंजनों को चखकर देख सकते हैं। यहां सिर्फ चाट, जलेबी या फालूदा ही नहीं है, आप भांग कुल्फी और भांग ठंडाई भी यहां खा सकते हैं।
सैर के अंत में आप किमाम-खुशबू पान का आनंद ले सकते हैं और कुछ मिनी समोसे पैक करा सकते हैं, जो 25 दिनों तक भी खराब नहीं होंगे। यहां खाने-पीने की कुछ दुकानें तो 19वीं सदी से हैं और वे घोषणा करती हैं कि उनकी कोई शाखा नहीं है।
यह शायद एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जो सदियों से नहीं बदला है, जबकि बाकी के शहर ने चार लेन की सड़क और डिवाइडर के साथ एक नया रूप ले लिया है। यह सदाबहार चौक हर आगंतुक को एक बीते युग में ले जाता है। फिर आप सोच रहे होंगे कि प्रयागराज में धर्म की हानि कैसे हो रही है? मैं समझाता हूं।
आप इस संकरी दो किलोमीटर लम्बी सड़क पर किसी के पान की पीक पर पैर रखे बिना नहीं चल सकते। यह पूरा रास्ता पीक के लाल रंग से रंगा हुआ है। शहर बदल गया है, लेकिन लोग नहीं। लेकिन जैसे यूपीआई ने टॉफी के कारोबार को खत्म कर दिया, मुझे लगता है कि रोबोट इस पान चबाने के कारोबार को खत्म करने का इंतजार कर रहे हैं।
जी हां, आपने सही सुना। 2025 में रोबोट- जो कभी कारखानों और गोदामों तक सीमित थे- सार्वजनिक दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं। अगली पीढ़ी के रोबोट खाना बना रहे हैं, कपड़े तह कर रहे हैं, सफाई कर रहे हैं और यहां तक कि इंसानों से बातें भी कर रहे हैं और गलती करने वालों को चेतावनी दे रहे हैं।
2024 में, रोबोटिक्स सेक्टर ने 12.8 अरब डॉलर आकर्षित किए थे और उनके ऑपरेटर्स अब जेन-एआई-संचालित रोबोट तैनात करने के लिए उत्साहित हैं। ये रोबोट्स स्वचालित तरीके से सफाई कर सकते हैं और क्षेत्र को गंदा करने वालों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं। अमेका एक ऐसा ही ह्यूमनॉइड रोबोट है, जो पश्चिमी दुनिया में पहले ही सार्वजनिक स्थान पर प्रवेश कर चुका है। कल्पना कीजिए अगर अमेका उस चौक की सड़क पर चल रहा हो तो वहां पीक थूकने वालों का क्या होगा?
फंडा यह है कि अगर आप सामाजिक रूप से जागरूक होकर नहीं चलेंगे तो कोई न कोई जरूर आएगा और गलत करने वालों को सजा देगा। 2025 में ह्यूमनॉइड रोबोट्स के नए अवतार लेने की उम्मीद है।
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एन. रघुरामन का कॉलम: जब-जब धर्म की हानि होती है, कोई न कोई आकर उसकी रक्षा करता है