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बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी ऐसे टैक्सपेयर्स को दी बड़ी राहत! 15 जनवरी 2025 तक फाइल कर सकेंगे ITR Business News & Hub

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी ऐसे टैक्सपेयर्स को दी बड़ी राहत! 15 जनवरी 2025 तक फाइल कर सकेंगे ITR Business News & Hub

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Income Tax Return Filing: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) से वैसे टैक्सपेयर्स जो इनकम टैक्स कानून के 87A के तहत टैक्स रिबेट पाने के हकदार हैं उन्हें बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) से ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए रिवाइज्ड (Revised) और बिलेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (Belated Income Tax Return) फाइल करने की तारीख को 15 जनवरी 2025 तक बढ़ाने का आदेश दिया है. हालांकि इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट अपना आखिरी फैसला 9 जनवरी 2025 को सुनाएगा.

क्या है पूरा मामला? 

दि चैंबर ऑफ टैक्स कंसलटेंट्स (The Chamber of Tax Consultants) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किया था जिस पर कोर्ट ने सीबीडीटी को ये आदेश दिया है. जुलाई 2024 में वित्त वर्ष 2023-24 और एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए टैक्सपेयर्स जब आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे थे तो 5 जुलाई 2024 के बाद जिन टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया ऐसे टैक्सपेयर्स को सीबीडीटी ने अचानक सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट देने पर रोक लगा दी जबकि वे इसके हकदार थे. पूरे देश में टैक्सपेयर्स ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब बॉम्बे हाईकोर्ट से उन्हें न्याय मिलता नजर आ रहा है.    

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीडीटी से रिवाइज्ड और बिलेटेड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तारीख को 15 जनवरी 2025 तक बढ़ाने का आदेश दिया है. आईटीआर फाइल करने की तारीख केवल ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए ही बढ़ेगी जो सेक्शन 87ए  के तहत टैक्स रिबेट क्लेम करने के हकदार हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट का अंतरिम फैसला आया है और अंतिम फैसला 9 जवरी 2025 को आएगा.  

9 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट सुनाएगा आखिरी फैसला 

5 जुलाई 2024 के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग यूटिलिटीज स्पेशल इनकम जैसे इक्विटी शेयर्स (Equity Shares) पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन या इक्विटी ऑरिएटेंड म्यूचुअल फंड (Equity Oriented Mutual Funds) से होने वाले आय जिसपर 15 फीसदी टैक्स लगता है उससे इनकम होने पर इनकम टैक्स विभाग 87A के तहत टैक्स रिबेट देना बंद कर दिया. सीबीडीटी ने यूटिलिजी सॉफ्टवेयर में अचानक ऐसे इनकम पर 87A के तहत टैक्स रिबेट देने पर रोक लगा दी. 

जबकि साल 2019 के फाइनेंस एक्ट में ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये तक सालाना आय पर 12500 रुपये के टैक्स बनने पर 87ए के तहत टैक्स रिबेट क्लेम करने का प्रावधान किया गया. जबकि न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये से कम सालाना आय होने पर 25000 रुपये का टैक्स रिबेट 87ए के तहत दिया जा रहा था.  दि चैंबर ऑफ टैक्स कंसलटेंट्स ने अपने याचिका में कोर्ट से कहा कि 87ए के तहत टैक्स रिबेट का मकसद कम आय वालों को टैक्स के बोझ से राहत देना था. और मनमाने तरीके से यूटिलिटीज सॉफ्टवेयर में 87ए को डिसेबल करना विधायिका की मंशा को कमजोर करता है. 

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