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रिजर्व बैंक ने 2024 में रेपो दर नहीं बदलीं, 2025 में नए RBI गवर्नर के सामने हैं कई चुनौतियां Business News & Hub

रिजर्व बैंक ने 2024 में रेपो दर नहीं बदलीं, 2025 में नए RBI गवर्नर के सामने हैं कई चुनौतियां Business News & Hub

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Year Ender 2024: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास के नेतृत्व में 2024 में ब्याज दरों में कटौती के दबाव को नजरअंदाज किया और अपना मुख्य ध्यान महंगाई पर केंद्रित रखा. अब नए मुखिया की अगुवाई में केंद्रीय बैंक को जल्द यह फैसला लेना होगा कि क्या वह आर्थिक विकास की कीमत पर महंगाई को तरजीह देना जारी रख सकता है.

ब्यूरोक्रेट शक्तिकांत दास ने 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद पूरे मामले की देखरेख की थी. उन्होंने एक स्थायी विरासत छोड़ी है उन्होंने छह साल तक मौद्रिक नीति को कुशलतापूर्वक संचालित किया. शक्तिकांत दास को कोविड-19 महामारी के समय से भारत के पुनरुद्धार को आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है.

साल 2024 के अंत में दास का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया गवर्नर नियुक्त किया है. इस साल के अंत में एक अन्य नौकरशाह संजय मल्होत्रा ​​को दास का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया. मल्होत्रा को दास का दूसरा तीन वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से मात्र 24 घंटे पहले ही नियुक्त किया गया. साल 2024 के अंत में दास का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया गवर्नर नियुक्त किया है.  

शक्तिकांत दास के नेतृत्व में आरबीआई ने लगभग दो साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखा हालांकि, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है.

नए गवर्नर के कार्यभार संभालने तथा ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में ब्याज दर निर्धारण समिति (एमपीसी) में बढ़ती असहमति के कारण अब सभी की निगाहें फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक पर हैं. सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि फरवरी की बैठक में एमपीसी का क्या रुख रहता है.

इसी महीने उनकी नियुक्ति के बाद कुछ विश्लेषकों का मानना ​​था कि मल्होत्रा ​​के आने से फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हुई है, लेकिन कुछ घटनाएं, विशेषकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दर में कम कटौती का संकेत दिए जाने, रुपये पर इसके असर के बाद कुछ लोगों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या यह ब्याज दर में कटौती के लिए उपयुक्त समय है.

कुछ पर्यवेक्षक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या 0.50 प्रतिशत की हल्की ब्याज दर कटौती – जैसा कि मुद्रास्फीति अनुमानों को देखते हुए व्यापक रूप से अपेक्षित है – आर्थिक गतिविधियों के लिए किसी भी तरह से उपयोगी होगी. एक नौकरशाह के रूप में लंबे करियर के बाद केंद्रीय बैंक में शामिल हुए दास ने कहा था कि उन्होंने उन प्रावधानों के अनुसार काम किया, जो विकास के प्रति सजग रहते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं. 

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर 2024 में सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ करने का फैसला किया था. अपनी आखिरी नीति घोषणा में दास ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर जाने का हवाला देते हुए कहा था कि वृद्धि-मुद्रास्फीति की गतिशीलता अस्थिर हो गई है. आरबीआई ने लगातार 11 बार द्विमासिक नीतिगत समीक्षा के लिए प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा है.

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