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फरीदाबाद. बल्लभगढ़ के मलेरना गांव के किसान जगदीश सिंह, दिल्ली के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने खेती को अपना जीवन बनाया है. वह 13 एकड़ में सरसों की खेती करते हैं. अपने अनुभव और मेहनत से उन्होंने खेती को एक परंपरा और पेशे के रूप में अपनाया है.
सरसों की खेती की प्रक्रिया
जगदीश सिंह ने सरसों की खेती की पूरी प्रक्रिया समझाई. सबसे पहले खेत की 8-10 बार जुताई करनी पड़ती है. इसके बाद सरसों के बीजों की बुवाई की जाती है. 1 एकड़ जमीन में लगभग 1 से सवा किलो बीज लगता है. साथ ही, 1 बैग डीएपी और 1 बैग पोटाश भी डालना आवश्यक होता है. फसल को 1-2 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. 3 महीने के भीतर सरसों की फसल तैयार हो जाती है.
सरसों के बाद की फसलें
सरसों की फसल मार्च तक तैयार हो जाती है. इसके बाद किसान मूंग जैसी फसलें लगाते हैं. फसल तैयार होने पर उसे बल्लभगढ़ मंडी में बेचा जाता है.
लाभ और चुनौतियां
जगदीश सिंह बताते हैं कि सरसों की खेती में मेहनत बहुत अधिक है, लेकिन मुनाफा उतना अधिक नहीं मिलता. मौसम खराब होने पर उत्पादन प्रभावित हो सकता है. सरसों की फसल में कीड़े नहीं लगते, लेकिन खराब मौसम में चैंपा नामक कीड़े का खतरा बढ़ जाता है.
खेती का अनुभव
जगदीश सिंह ने मात्र 14 साल की उम्र में खेती करना शुरू कर दिया था. हाई सेकेंडरी के बाद वह पूरी तरह खेती में जुट गए. अब 72 साल की उम्र में भी वह खेती करते हैं और इसे अपना मुख्य पेशा मानते हैं.
जगदीश सिंह जैसे किसान खेती को न केवल जीविका के साधन के रूप में देखते हैं, बल्कि इसे अपनी पहचान और परंपरा के रूप में भी अपनाते हैं. सरसों की खेती उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें उनकी मेहनत और अनुभव झलकता है.
Tags: Agriculture, Faridabad News, Haryana news, India agriculture, Success Story, Success tips and tricks
FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 13:46 IST
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