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21सांपला02-सांपला इलाके में लहलहाती सरसों की फसल। स्रोत : संवाद
सांपला। मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण किसानों को सरसों की फसल में सफेद रतुआ बीमारी होने डर सताने लगा है।
जिले में करीब 13000 हेक्टेयर में सरसों की फसल लगी हुई है। अगेती व पिछेती दोनों फसलों में फूल आ चुके हैं। धुंध गिरती है तो फसल रोगग्रस्त हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लक्षण आरंभ में पत्तों पर नजर आते हैं। पत्तों के निचले भाग में सफेद धब्बे से दिखाई देते हैं तथा बाद में सफेद पाउडर सा बन जाता है। किसान अपनी फसल में एक पानी अवश्य लगाएं ।
क्या कहते हैं किसान
किसानों का कहना कि हाल में रबी की सभी फैसले अच्छी है। अगर रोग लगा तो उनके उत्पादन पर काफी असर पड़ेगा। किसान रणवीर सिंह, राजेश कुमार, पवन , सतपाल आदि ने बताया कि प्रकोप बढ़ने पर यह पत्तों के बाद तने से होती हुई फलियों तक पहुंच जाती है। यह रोग सरसों की फसल के लिए हानिकारक होती है। फलियों में पहुंचने के बाद यह टहनी की बढ़वार को रोक देती है तथा मोर पंजे का आकार ले लेती है। इससे फलियां बननी बंद हो जाती हैं। वहीं पत्तों व तने पर अटैक की वजह से पौधे की बढ़ोतरी कम हो जाती है। इस बीमारी के आने से सरसों की पैदावार कम हो जाती है, क्योंकि फसल की फलियों में दाना पूर्ण रूप से पक नहीं पाता है।
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Rohtak News: किसानों को सरसों की फसल में रोग फैलने का सता रहा डर