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पाकिस्तान में TTP आतंकियों के हमले में 16 सैनिकों की मौत हुई। (फाइल फोटो)
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शनिवार तड़के आतंकवादियों ने सेना की पोस्ट पर हमला किया। इसमें 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई जबकि 5 घायल हैं। घटना अफगानिस्तान बॉर्डर से 40 किमी दूर माकिन में हुई है।
न्यूज एजेंसी एएफपी ने सेना के अधिकारी के हवाले से बताया कि 30 से ज्यादा आतंकवादियों ने सेना के पोस्ट पर करीब 2 घंटे तक हमला किया। इस दौरान आतंकवादियों ने चौकी पर मौजूद वायरलेस उपकरण, दस्तावेज समेत कई चीजों में आग लगा दी। इसके बाद सभी मौके से फरार हो गए।
हमले के बाद से इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी गई है। घटनास्थल के पास आतंकवादियों की तलाश जारी है। इस घटना की जिम्मेदारी तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान यानी TTP के आतंकियों ने ली है।
कई अहम हथियार लूटकर आतंकी फरार आतंकवादियों ने सैन्य चौकी पर किए हमले को अपने सीनियर कमांडरों की शहादत का बदला बताया। रिपोर्ट के मुताबिक हमले के दौरान आतंकवादियों ने मशीन गन, नाइट विजन तकनीक सहित कई जरूरी सैन्य उपकरण लूट लिए।
हाल ही में 18 दिसंबर को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सेना ने तीन अलग-अलग कार्रवाई की थी जिसमें 11 आतंकवादियों को मारने का दावा किया था।
उससे पहले 25 अक्टूबर को डेरा इस्माइल खान इलाके में TTP आतंकियों ने हमला किया था। जिसमें 10 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी और 8 घायल हो गए थे। यह इलाका अफगानिस्तान बॉर्डर से करीब 70 किमी दूर है।
इसी साल सितंबर में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने यूनाइटेड नेशन में कहा था कि TTP दुनिया भर में आतंकी समूहों को तेजी से बढ़ा रहा है। वह आने वाले समय में अल कायदा के साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।
टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है।
सेना पर हमला करने वाले 25 आरोपियों को सजा इस घटना के अलावा पिछले साल मई में इमरान खान की गिरफ्तारी पर पाकिस्तानी सेना पर हमले के मामले में 25 आरोपियों को 2 से 10 साल की सजा सुनाई गई है। ये जानकारी आज पाकिस्तानी सेना की ओर से दी गई है। उन्होंने कानून हाथ में लेने वालों को कठोर सजा की चेतावनी दी है।
क्या है TTP ? साल 2007 में कई सारे आतंकी गुट मिलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बनाया। TTP को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं। पाकिस्तानी सरकार ने अगस्त 2008 में TTP को बैन कर दिया था।
अक्टूबर 2001 में अमेरिकी सेना ने जब अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल किया तो कई आतंकी भागकर पाकिस्तान में बस गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने इन आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया।
इसी दौरान पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को एक कट्टरपंथी प्रचारक आतंकी के कब्जे से मुक्त कराया। इस घटना के बाद स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की खिलाफत होने लगी। इससे कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
इसके बाद दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह मेहसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया। संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया।
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