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- Prof. Chetan Singh Solanki’s Column Climate Reform Is Not A Personal Choice, It Is A Collective Responsibility…
प्रो. चेतन सिंह सोलंकी आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर
हमारे शहर गैस चैम्बर में तब्दील होते जा रहे हैं। चर्चाओं में अक्सर बाहरी फैक्टर्स जैसे कि पराली जलाना या औद्योगिक उत्सर्जन को दोषी ठहराया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि समस्या और समाधान- दोनों ही हमारे घर में हैं।
हमारी सामूहिक जीवनशैली की पसंद, ऊर्जा की खपत और अपशिष्ट उत्पादन वायु-गुणवत्ता को खराब करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति की ओर से कार्रवाई की आवश्यकता है। हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह एक साझा संसाधन है, और इसकी गुणवत्ता हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
100 घरों वाले मोहल्ले की कल्पना करें। यदि 50 घर अपने कचरे काे सावधानीपूर्वक सही जगह पर छोड़ते है, लेकिन अन्य 50 अपना कचरा सड़कों पर फेंक देते हैं, तो क्या यह क्षेत्र साफ रहेगा? ‘नहीं’। इसी तरह, अगर 1,000, 1 लाख या 100 लाख लोग भी अच्छी आदतें अपनाते हैं, परंतु बाकी आबादी प्रदूषण जारी रखती है, तो इससे न तो वायु की गुणवत्ता ठीक होगी या और न ही ग्लोबल वार्मिंग जैसी बड़ी समस्याओं में कमी आएगी। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण-क्षरण वैश्विक समस्याएं हैं, जो हम सबके कारण हैं। सबको समाधान का हिस्सा बनना होगा।
पिछले चार वर्षों से मैं अपनी ऊर्जा स्वराज यात्रा के साथ पूरे देश में यात्रा कर रहा हूं, पर्यावरण क्षरण, खराब वायु गुणवत्ता और ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए समर्पित उत्साही व्यक्तियों से मिल रहा हूं। उनमें से कई लोग अपने रसोई के कचरे से खाद बनाते हैं, पानी का बहुत किफायती तरीके से उपयोग करते है, काम पर साइकिल से जाते हैं और यहां तक कि अपनी छतों पर सौर पैनल भी लगाते हैं।
फिर भी, अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, वे अक्सर निराशा महसूस करते हैं। उनके पड़ोस में गंदगी रहती है, हवा प्रदूषित रहती है और नदियां भी दूषित हैं। उनके नेक काम अक्सर दूसरों की प्रदूषक आदतों के सामने बौने रह जाते हैं। चाहे कुछ व्यक्ति कितने भी प्रतिबद्ध क्यों न हों, परंतु हर व्यक्ति के कार्य ही मायने रखते हैं।
लगातार सात वर्षों से भारत का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर सामूहिक कार्रवाई की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रमाण है। इस शहर ने दिखाया है कि कचरे से निपटना और स्वच्छता हासिल करना तभी संभव है, जब उसका हर व्यक्ति इसमें अपना योगदान दे।
इंदौर के लोगों और संगठनों के साथ अपनी बातचीत के दौरान मैंने एकता और प्रयास की अविश्वसनीय भावना देखी है, जो इस उपलब्धि को आगे बढ़ाती है। सीईओ से लेकर ऑटो चालकों तक, नेता से लेकर कर्मचारी तक, सभी ने इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर बनाने में भूमिका निभाई है।
अदृश्य दुश्मन अक्सर दिखने वाले दुश्मन से कहीं अधिक खतरनाक होता है। इसी तरह पर्यावरण का अदृश्य कचरा दिखने वाले कचरे से कई गुना ज्यादा खतरनाक है। दिल्ली में बैठे नीति-निर्माताओं सहित, पर्यावरण पर काम करने वाली अधिकतर संस्थाएं, सिर्फ सूखे और गीले कचरे जैसे दृश्यमान कचरे पर ध्यान केंद्रित करती हैं- जो भारत में प्रति परिवार औसतन 150 से 200 किलोग्राम सालाना है। जबकि कार्बन उत्सर्जन के रूप में अदृश्य कचरा करीब 10,000 किलोग्राम से ज्यादा होता है।
इंदौर ने अब एक बड़ी चुनौती ली है : कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों के अदृश्य कचरे से निपटना। इंदौर नगर निगम ने एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के साथ मिलकर इंदौर क्लाइमेट मिशन शुरू किया है, शहर का लक्ष्य सामूहिक रूप से अपने कार्बन पदचिह्न को कम करके वैश्विक बेंचमार्क स्थापित करना है।
इंदौर जलवायु मिशन का यह 100 दिवसीय अभियान 1 दिसंबर 2024 से शुरू हुआ है और 10 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। इसका उद्देश्य ऊर्जा साक्षरता और रोजमर्रा की जलवायु-सुधार आदतों के प्रसार के माध्यम से शहर की बिजली की खपत को 20% तक कम करना है। और वैश्विक मानदंड स्थापित करते हुए इस क्षेत्र में दुनिया का नंबर 1 शहर बनना है।
अगर हम जलवायु सुधार में विफल रहे,तो हमारे बच्चे जलवायु-परिवर्तन के दु:खद परिणामों से पीड़ित होंगे। चुनाव आपका और मेरा है। क्या आपका शहर इंदौर की तरह अगला जलवायु सुधार मिशन शुरू करने के लिए तैयार है? (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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प्रो. चेतन सिंह सोलंकी का कॉलम: जलवायु सुधार निजी पसंद नहीं, सामूहिक जिम्मेदारी है…