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वीर योद्धा धर्म सिंह फोगाट।
विजय दिवस विशेष
भारत-पाक व चीन युद्ध में दादरी जिले के जांबाज सैनिकों ने भी निभाई थी अहम भूमिका, आज भी जेहन में ताजा हैं युद्ध की यादें
संवाद न्यूज एजेंसी
चरखी दादरी। भारत-पाक के साथ हुए युद्ध में दादरी जिले के जांबाज सैनिकों ने भी अपना पराक्रम दिखाया था। इन सैनिकों के जेहन में आज भी युद्ध की यादें ताजा हैं। जिले के वीरों का कहना है भारतीय सेना के शौर्य एवं साहस के आगे पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने घुटने टेक दिए थे। भारत ने 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराया।
जिले के पूर्व सैनिकों एवं योद्धाओं का कहना है कि उस समय 7.62 व 3.3 बंदूक व टैंक थे। ऑर्टिलरी सेना ने टैंकों के जरिये शत्रु की सेना पर हमला किया। उस समय आमने-सामने की लड़ाई होती थी। पाकिस्तानी सेना आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो गई थी। चीन के साथ हुए युद्ध के समय भारत के पास जवानों व हथियारों की कमी थी। चीन के साथ लड़ाई दिसंबर 1962 में शुरू हुई थी। उस समय पहाड़ों पर बर्फबारी होने से भारतीय सेना को दिक्कतें आईं। हालांकि, वे सब मुश्किलों को पार करने में सफल रहे। इन वीर योद्धाओं का नई पीढ़ी के लिए संदेश है कि वे देश की सुरक्षा के लिए कुर्बानी देने के लिए सदैव तैयार रहें।
जांबाज योद्धाओं की जुबानी, जीते गए युद्धों की कहानी
– 1962 में भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। उस समय चीन के साथ लड़ाई खत्म ही हुई थी। मैंने पाकिस्तान के साथ 1971 व 1965 के समय लड़ाई लड़ी। उस समय बंदूकों व टैंकों के जरिये ही लड़ाई लड़ी गई थी। पाकिस्तान की सेना के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। भारत ने बांग्लादेश को आजाद कराया। पाकिस्तान पर दो जीत शानदार रही। मैं 31 जनवरी 1991 में सेना से ऑनरेरी कैप्टन से रिटायर हो गया। अग्निवीर योजना को मैं दिल से नहीं मानता।
-ऑनरेरी कैप्टन प्रकाशचंद मिसरी, वीर योद्धा
– 1962, 1965 व 1971 की लड़ाई लड़ी। मैं 1962 में भर्ती हुआ था। भर्ती होते ही युद्ध के मोर्चे पर तैनात हो गया। मुझे गलवान घाटी में तैनात किया गया। चीनी सेना भारतीय जवानों से आज भी कमजोर है। उस समय भारत के पास जवानों व हथियारों की कमी थी। इस वजह से चीन के साथ हुई लड़ाई में हार का मुंह देखना पड़ा। भारत ने 1965 व 1971 में पाकिस्तान को फतह किया। भारतीय सेना के पराक्रम एवं शौर्य के सामने पाकिस्तान की 93 हजार सेना ने पाक के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में हथियार डालने पड़े।
-धर्म सिंह ढाणी फोगाट, वीर योद्धा
– 21 दिसंबर 1954 में भारतीय सेना में पांच जाट रेजिमेंट में भर्ती हुआ था। मैंने देश के लिए तीनों लड़ाइयां लड़ीं। आमने-सामने की लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाई। उस समय देश की जनता व सेना दोनों में ही जोश था। पाकिस्तान पर 13 दिन में विजय प्राप्त की। वहीं, चीन के साथ जब जंग शुरू हुई, उस ठंड का मौसम था। उस समय भारत के पास जवानों व हथियारोंं की कमी थी। युवाओं के लिए मेरा यही कहना है कि देश की सुरक्षा का ख्याल रखें।
-नायब सूबेदार रण सिंह ढाणी फोगाट, वीर योद्धा
फोटो- 19
वीर योद्धा प्रकाशचंद मिसरी।
फोटो 20
वीर योद्धा धर्म सिंह फोगाट।
फोटो 21
वीर योद्धा रण सिंह।
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Charkhi Dadri News: भारतीय सेना समक्ष 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को करना पड़ा था आत्मसमर्पण