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पंजाब हरियाणा के शंभू बाॅर्डर से किसान रविवार को दिल्ली कूच पर अड़े रहे। हालांकि हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। पिछली बार से अलग हरियाणा पुलिस थोड़ी नरम दिखी। वहीं शाहाबाद के एक डीएसपी ने आंदोलन पर अपनी भी प्रतिक्रिया दी।
पुलिस की अग्रिम पंक्ति में शाहाबाद के डीएसपी रामकुमार थे। उन्होंने किसानों से लगातार बात की और उन्हें समझाने का प्रयास किया। वह किसानों के पास लंगर लेकर शांति से वहीं बैठने की बात कहते नजर आए। कभी फूलों की वर्षा तो कभी सतनाम वाहेगुरू नाम का जाप कर किसानों को हैरत में डालते दिखे। इसके बाद डीएसपी ने मीडिया कर्मियों को बुला लिया और यह तक कह दिया कि वह शहीद होने नहीं आए हैं। किसान अनुमति दिखा दें तो वह हाथों पर बैठाकर फूलों की वर्षा करते हुए उन्हें लेकर जाएंगे।
वहीं मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि हम भी किसान के बेटे हैं। अब पुलिस में सेवा दे रहे हैं लेकिन हम शहीद होने के लिए नहीं आए हैं। डीएसपी ने कहा कि मेरे साथी मेरा परिवार हैं। कोई उन पर पत्थर फेंकेगा तो उनकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है। आपके परिवार पर हमला होगा तो आप क्या करेंगे। किसान और पुलिस दोनों मेरा परिवार हैं। मैं हाथ जोड़ रहा हूं, चाय पिला रहा हूं यह सिर्फ दिखाने के लिए नहीं कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि किसी चीज का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकले, आप हमारे साथ संघर्ष न करो। मैंने पंधेर से भी मीटिंग की। उनसे भी कहा कि ऐसा काम न करो कि आपके ऊपर बल प्रयोग करना पड़े।
पुलिस ने बैरिकेडिंग तक पहुंचे किसानों को चाय और बिस्कुट दिया। उनके सामने हाथ जोड़े। आंसू गैस के गोले छोड़ने के बाद जब किसान दोबारा बैरिकेडिंग के नजदीक पहुंचे तो पुलिस ने उन पर फूल बरसाए। हालांकि किसानों ने आरोप लगाया कि फूलों में केमिकल मिला था, इससे कई किसानों की तबीयत खराब हो गई।
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