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14 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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हर देश की अपनी विशेष संस्कृति और परंपरा होती है। सबका अपना खानपान भी होता है। भारत में इन तीनों चीजों पर हल्दी एकछत्र राज कर रही है। भारतीय संस्कृति, परंपरा से लेकर रसोई तक हर जगह हल्दी ने अपना विशेष स्थान बनाया है।
इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी खास स्थान प्राप्त है। चोट, दर्द और सूजन के इलाज के लिए हल्दी का लंबे अरसे से बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता रहा है। हमारे पूर्वज हल्दी से होने वाले फायदों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे मसालों में जगह दे दी। अब हमारे भोजन में हल्दी इस तरह घुल-मिल गई है कि कई बार तो खाना खाते हुए भी हमें इसके होने का एहसास तक नहीं होता है।
हर तरह की सब्जी और दाल में मिली यह एक चुटकी हल्दी हमारे ऊपर बीमारियों का हमला होने पर मजबूत ढाल का काम करती है।
हल्दी हमारे भोजन का गहना है। इससे खाने में रंग और स्वाद तो बढ़ता ही है, न्यूट्रिशनल वैल्यू भी बढ़ती है। कई बार यह हमें छोटी-मोटी चोट, दर्द और सूजन का तो पता भी नहीं चलने देती है। इसके अलावा यह सर्दी-जुकाम से लेकर हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाती है।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे हल्दी की। साथ ही जानेंगे कि-
- हल्दी की न्यूट्रिशनल वैल्यू क्या है?
- इसकी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज क्या हैं?
- हल्दी किन बीमारियों से सुरक्षित रखती है?
- ज्यादा हल्दी खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
चोट, दर्द और सूजन के लिए रामबाण है हल्दी
हमारे पूर्वजों ने हल्दी से होने वाले फायदों को बहुत पहले ही पहचान लिया था। इसलिए उन्होंने हल्दी को भोजन का जरूरी हिस्सा बना दिया। इसके अलावा चोट, दर्द और सूजन के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल करते रहे हैं।
हल्दी की न्यूट्रिशनल वैल्यू
एक चम्मच हल्दी में लगभग 29 कैलोरीज होती हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होती है। इसके अलावा हल्दी में मैंगनीज, आयरन और पोटेशियम जैसे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण मिनरल्स भी होते हैं।
हल्दी की मेडिसिनल प्रॉपर्टीज क्या हैं?
दिल्ली के आरोग्यम आयुर्वेदिक एलर्जी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ. सतनाम सिंह कहते हैं कि हल्दी बीते कुछ सालों में अपनी एंटी कैंसर प्रॉपर्टी के कारण मेडिसिन जगत में चर्चा का विषय बन गई है। इसकी इस प्रॉपर्टी पर ढेरों रिसर्च और स्टडीज चल रही हैं। हल्दी में मौजूद पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट करक्यूमिन ने यह उम्मीद जगाई है कि भविष्य में हल्दी कैंसर के इलाज में काम आ सकती है।
डॉ. सतनाम सिंह बताते हैं कि हल्दी में एंटी माइक्रोबियल और एंटी वायरल गुण होते हैं। अगर इसका रोजाना सेवन कर रहे हैं तो यह सामान्य सर्दी-जुकाम से बचा लेती है। इसके अलावा यह डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल बीमारियों से भी बचाती है।
हल्दी किन बीमारियों से बचाती है
अगर नियमित रूप से हल्दी का सेवन किया जाए तो हमारे जीवन में आने वाले कई संकट यूं ही टल जाएंगे। यह कोई हवा-हवाई बात नहीं है। हल्दी के ऊपर लगातार चल रही रिसर्च से ये बार-बार साबित हुआ है कि इससे बहुत सारी बीमारियों का इलाज संभव है।
हल्दी के सेवन से सेहत को क्या फायदे हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए:
आइए ग्राफिक में दिए कुछ पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।
इंफ्लेमेशन और दर्द से बचाती है
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक बायोएक्टिव सब्सटेंस है। यह इंफ्लेमेशन और दर्द को दूर करता है। इसलिए छोटी-मोटी चोट लगने पर हल्दी बेहद कारगर साबित होती है।
हार्ट डिजीज से बचाती है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में सबसे अधिक मौतें हार्ट डिजीज के कारण होती हैं। हमारे हार्ट में एक खास फंक्शन एंडोथीलियम होता है। इसकी फंक्शनिंग खराब होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम बढ़ता है। यह हार्ट डिजीज का प्रमुख कारण भी है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, हल्दी एंडोथीलियम फंक्शनिंग को बेहतर बनाने में मदद करती है। इससे हार्ट डिजीज का जोखिम कम होता है।
कैंसर के इलाज में कारगर है
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, करक्यूमिन से शुरुआती स्टेज में कई अलग-अलग तरह के कैंसर ठीक हो सकते हैं। रिसर्च में पाया गया कि करक्यूमिन कैंसर सेल्स की वृद्धि और विकास को प्रभावित कर सकता है। इस स्टडी में 3 बड़ी बातें सामने आईं।
- करक्यूमिन कैंसर सेल्स को नष्ट कर सकता है।
- ट्यूमर में नई ब्लड वेसल्स (एंजियोजेनेसिस) बनने से रोकता है।
- कैंसर के प्रसार (मेटास्टेसिस) को कम करता है।
स्टडी में इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि करक्यूमिन कोलोरेक्टल कैंसर जैसे पाचन तंत्र के कैंसर को शुरुआती स्टेज में रोकने में सक्षम है।
आर्थराइटिस के इलाज में मददगार
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में अक्टूबर, 2022 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, हल्दी ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में प्लेसिबो (आर्थराइटिस में दिया जाने वाला एक इलाज) से ज्यादा कारगर है। इससे सूजन और दर्द दोनों दूर हो जाते हैं। यह किसी नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग की तरह काम करती है।
अल्जाइमर्स के इलाज में मददगार है
अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे आम रूप है। डिमेंशिया के 70% मामलों में अल्जाइमर्स ही जिम्मेदार है। अल्जाइमर के कारण ब्रेन में इंफ्लेमेशन और ऑक्सिडेटिव डैमेज बढ़ता है। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट करक्यूमिन अल्जाइमर के इन दोनों ही लक्षणों को कंट्रोल करने में प्रभावी होता है।
अल्जाइमर्स के कारण ब्रेन में थक्का बन जाता है और करक्यूमिन इसे ठीक करने में मदद करता है। अगर इलाज के साथ हल्दी का नियमित सेवन किया जाए तो इस बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इससे डिमेंशिया का खतरा भी टल जाता है।
क्या रोजाना हल्दी खाना ठीक है?
सेहत के लिए हल्दी के विभिन्न लाभकारी गुणों को देखते हुए इसके रोजाना सेवन से कई फायदे होते हैं। हालांकि, अगर कोई 12 ग्राम या इससे अधिक हल्दी खा रहा है तो उसे डायरिया, कब्ज या उल्टी जैसे साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है। इससे और क्या समस्याएं हो सकती है, ग्राफिक में देखिए।
हल्दी किसे नहीं खानी चाहिए?
कुछ लोगों को हल्दी का सेवन बहुत सीमित मात्रा में या न के बराबर करना चाहिए। अगर यह नियमित भोजन का हिस्सा है तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। खासतौर पर इन लोगों को ध्यान रखने की जरूरत है–
- अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है या ब्रेस्टफीडिंग करा रही है।
- जिन लोगों को गॉलब्लैडर या किडनी की समस्या है।
- जिन्हें कोई ब्लीडिंग डिसऑर्डर है।
- जिन्हें डायबिटीज है या आयरन की कमी है।
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