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07जेएनडी15: श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी विनोद कृष्ण महाराज। संवाद
सफीदों। गीता कॉलोनी स्थित मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा अमृत महोत्सव में शनिवार को स्वामी विनोद कृष्ण महाराज ने कहा कि भक्ति, आराधना और ज्ञान का संगम श्रीमद्भागवत है।
उन्होंने कहा कि सांसारिक मोह, माया को त्याग कर परमात्मा का स्मरण करना ही वैराग्य होता है। इसके जीवन में भक्ति नहीं होती उसका जीवन नीरस एवं सारहीन होता है। भगवान की कथा सुनने से भक्ति तृप्त होती है ज्ञान और वैराग्य हृदय में दृढ़ होते हैं और हमारे जीवन में भक्ति बढ़ती है तो भगवान के चरणों में अनुराग और प्रेम होता है।
उन्होंने कहा कि गोवर्धन में गिरीराज और चित्रकूट में कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इन दोनों स्थानों का इतना बड़ा महत्व है कि किसी भी मनोकामना को पूर्ण होने में ज्यादा समय नहीं लगता। लाखों की तादाद में लोग इन पवित्र स्थानों की परिक्रमा करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा की शुरुआत तब हुई थी जब उन्होंने इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण को सात दिन तक भूखा रहना पड़ा था। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीमननारायण ने कई लीलाएं की हैं। कई अवतारों में मनुष्य को सामान्य रूप से जीने की शिक्षा दी है। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह भगवान और भक्त की कथा का मनन करे और अपना जीवन भक्तिभाव में व्यतीत करे। जिसके जीवन में भक्ति आ जाएगी, उसका जीवन संवर जाएगा। कथा के दौरान कई मनोहारी झांकियां प्रस्तुत की गईं। इसको देखकर श्रद्धालुओं का मन भक्तिभाव से परिपूर्ण हो गया।
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