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आम का पेड़ गिरने के चलते याची के घर को हुए नुकसान के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को आदेश दिया है कि वे याची को 3.5 लाख रुपये अंतरिम मुआवजे के रूप में दो माह में दे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आंधी-बारिश मौसम का हिस्सा हैं, इसके चलते पेड़ गिरने को एक्ट ऑफ गॉड मान जिम्मेदारी से प्रशासन भाग नहीं सकता।
याचिका दाखिल करते हुए चंडीगढ़ निवासी कमल किशोर और अन्य ने हाईकोर्ट को बताया कि 26 जून, 2021 को सुबह करीब 3 बजे उनके घर के बगल में मौजूद आम का पेड़ उनके घर पर गिर गया। इसके गिरने से परिवार के कई सदस्यों को चोट आई और मकान को भी भारी नुकसान हुआ था।
याची ने बताया कि इस घटना से काफी समय पहले से प्रशासन को शिकायत देकर इसे हटाने की मांग की गई थी। याची के बच्चों ने इसे हटाने को लेकर कई ई-मेल भी लिखे थे। बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई एक्शन न लेने के चलते हादसा हुआ था।
प्रशासन की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि उन्हें शिकायत मिली थी और उसके बाद पेड़ की छंटाई भी की गई थी। जिस रात यह दुर्घटना हुई उस रात तेज आंधी व बरसात थी। इसी के चलते पेड़ गिर गया और यह एक्ट ऑफ गॉड की श्रेणी में आता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि आंधी व बारिश मौसम का हिस्सा है, एक्ट ऑफ गॉड नहीं। अदालतों में एक्ट ऑफ गॉड साबित करने के लिए बड़े ऊंचे मानक होते हैं। प्रशासन यदि इसे एक्ट ऑफ गॉड मानता है तो यह बताए कि क्या उस दिन जैसा हुआ था वैसी आंधी व बारिश इससे पहले कभी नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने प्रशासन की सभी दलीलों को खारिज करते हुए याची को अंतरिम मुआवजे के तौर पर साढ़े 3 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने याची को छूट दी कि वह उचित अदालत में मुआवजे के लिए याचिका दाखिल करे।
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का निर्देश- आंधी-बारिश एक्ट ऑफ गॉड नहीं, पीड़ित को 3.5 लाख अंतरिम मुआवजा दे प्रशासन