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चरखी दादरी के गीता भवन सभागार में सत्संग करते स्वामी भास्कर गिरी।
चरखी दादरी। गीता जयंती महोत्सव के तहत शुक्रवार को गीता भवन सभागार में सत्संग आयोजित किया गया। इसमें स्वामी भास्कर गिरी महाराज ने श्रीमद्भागवद्गीता के गूढ़ तत्व बताए। उन्होंने श्रीकृष्ण की ओर से अर्जुन को दिए गए उपदेश के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा कि शरीर मात्र एक वस्त्र के समान है और जैसे पुराने वस्त्र को त्यागकर नया वस्त्र धारण किया जाता है, वैसे ही शरीर के नष्ट होने पर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार नया शरीर धारण करती है। आत्मा नित्य, सनातन और अमर है। यह परमात्मा का अंश है और कभी नष्ट नहीं होती, जबकि शरीर नश्वर है।
स्वामी भास्कर गिरी ने बताया कि अर्जुन का मोह समाप्त न होने पर उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना गुरु स्वीकार किया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जीव तीन प्रकार के कर्म करता है। पहला संचित कर्म जो जीव के पिछले कर्मों का परिणाम होते हैं। दूसरा प्रारब्ध कर्म जो वर्तमान में भोगे जा रहे हैं और तीसरा निष्काम कर्म जो फल की इच्छा से रहित होते हैं और सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्मयोग का महत्व बताया। कहा कि निष्काम कर्म स्वर्ग की ओर ले जाने वाला होता है। तीसरे अध्याय में उन्होंने कर्म के विभिन्न आयाम बताए हैं। गंगाराम बिरोहड़िया ने बताया कि आयोजन भक्तों में आध्यात्मिक चेतना और कर्मयोग के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर रहा है।

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आत्मा परमात्मा का अंश, कभी नहीं होती नष्ट : भास्कर गिरी