- Hindi News
- Opinion
- Column By N. Raghuraman Signs On The Surface Can Tell What’s Going On Inside
14 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
देश भर में ज्यों-ज्यों तापमान गिर रहा है, एयरलाइंस के किराए भी आसमान छू रहे हैं, आपने शायद इस वीकेंड रोड ट्रिप की होगी या आने वाले हफ्तों में किसी ट्रिप पर जाएंगे। आपने देखा होगा कि खेतों में सब्जियां और फल जैसे केले के गुच्छे प्लास्टिक की थैलियों से ढंके जा रहे हैं और शाम को इन्हें पानी दिया जा रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि दस से कम पारा ड्राइविंग के लिए तो अच्छा है, लेकिन मौसम के प्रति संवेदनशील सब्जियों पर असर डाल सकता है और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कम करके, पोषण का अवशोषण कम करते हुए पौधे की मेटाबॉलिक प्रक्रिया को बिगाड़ सकता है।
यह पौधे के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिसके चलते फसल पर कीटों के प्रकोप की आशंका ज्यादा होती है। आपने शायद देखा होगा कि खेतों में शाम को ढेर सारे बल्ब जला दिए जाते हैं। वो इसलिए क्योंकि न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर ज्वार की फसल में शुगरी (चिकता) बीमारी लग जाती है। गर्माहट रखने के लिए लाइट जलाई जाती है।
कुछ खेतों में मैंने देखा है कि किसान फसलों से बात करते हैं, ‘मैं तुम्हें प्लास्टिक से ढंक रहा हूं क्योंकि मैं तुम्हें सर्दियों से बचाना चाहता हूं’ या ‘मैं लाइट चालू रख रहा हूं ताकि तुम गर्म बने रहो।’ किसान जानते हैं कि बाहरी घटनाक्रम पौधों के आंतरिक ऑर्गन्स पर असर डाल सकते हैं, जो सब्जियों में दरार के रूप में विकसित हो जाते हैं।
इसी तरह मानव शरीर में भी अतिरिक्त शुगर सूक्ष्मजीवों के लिए एक दावत बनती है और उनकी खुशी बार-बार संक्रमण के साथ त्वचा पर दिखाई देती है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. शरद मुतालिक ने हाल ही में कहा कि 80 फीसदी डायबिटीज के मरीजों में त्वचा रोग सामने आता है और यह इस बीमारी के शुरुआती चेताने वाले संकेत होते हैं।
डॉक्टर का कहना है कि जब त्वचा पर कोई संक्रमण दिखाई दे, तो बेहतर रहेगा कि आप अपनी ब्लड शुगर चेक करें। ये दोनों ही मामले इशारा करते हैं कि बाहरी विकास और आंतरिक बदलावों या आंतरिक विकास और बाहरी बदलावों के बीच एक मजबूत संबंध है। करिअर में भी बिल्कुल यही होता है।
एक युवा मां का उदाहरण लें, जो छह महीने का मातृत्व अवकाश या थोड़ा लंबा ब्रेक लेने के बाद काम पर लौटती है। वह आमतौर पर कम तनाव वाले काम करते दिखती हैं। एचआर का सोचना होता है कि उन्हें साधारण से काम सौंपकर वे अपनी उदारता दिखा रहे हैं और इससे स्तनपान कराने वाली मां पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।
लेकिन करिअर पर केंद्रित मांएं दूसरी तरह से सोचती हैं और गहन विचार में पड़ जाती हैं, जो उन्हें अंदर से परेशान करता है। उन्हें लगता है कि अब उनके ऑफिस को लगने लगा है कि दफ्तर से लंबे समय से गैर-मौजूद रहने के कारण उनकी कार्यक्षमताएं खो गई हैं, इसलिए उन्हें गैर-महत्वपूर्ण काम दिए जा रहे हैं।
कभी-कभी उन्हें लगता है कि उनकी अनुपस्थिति में भी बिजनेस अपनी पूरी गति से चल रहा था और कंपनी पैसा कमा रही थी और इसलिए वे उनके वेतन का भुगतान तब भी कर सकते थे जब वे कंपनी के विकास में योगदान नहीं दे रहे थे।
चूंकि कामकाज रुक नहीं सकता, ऐसे में एचआर अलग-अलग विभाग से कर्मचारियों को बुलाकर उनका सौंप देता है, जो कि छुट्टी पर जाने से पहले वह कर रही थी। जैसे सब्जियों को भी एक आवरण की जरूरत होती है, त्वचा रोग विशेषज्ञ शुगर का टेस्ट कराने की सलाह देते हैं, इसलिए एचआर को भी नई मां की काउंसिलिंग करनी चाहिए और उन्हें अपनी सीट पर धीरे-धीरे सेट होने में मदद करनी चाहिए।
जब तक कि उन युवा मां के काम की गति डिलीवरी से पहले वाले दिनों की तरह नहीं हो जाती, एचआर या बॉसेस की ओर से दैनिक आधार पर आश्वासन का एक शब्द, कर्मचारी और नियोक्ता के बीच अच्छे संबंध सुनिश्चित करेगा। इसे उम्रदराज होने, जलवायु परिवर्तन या कॉर्पोरेट पदानुक्रम का साधारण-सा हिस्सा कहकर खारिज न करें।
फंडा यह है कि बात चाहे सेहत की हो, कृषि जैसे व्यवसाय की हो या फिर महिलाओं के करिअर की, हमें समझना चाहिए कि सतह पर जो नजर आ रहा है, वह कभी-कभी इसका संकेत हो सकता है कि उनके दिमाग, शरीर या फिर कृषि व्यवसाय का करिअर में अंदर क्या चल रहा है।
एन. रघुरामन का कॉलम: सतह पर मौजूद संकेत बता सकते हैं कि अंदर क्या चल रहा है