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जींद। जिले में धान के अवशेष जलाने के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। वीरवार तक जिले में 12 मामले सामने आए थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 17 हो गई है। इन सभी लोगों पर कृषि विभाग ने जुर्माना भी लगाया है। अभी तक किसी भी किसान पर मामला दर्ज नहीं किया गया है। डीसी ने कहा कि यदि किसान धान के अवशेष जलाने से बाज नहीं आए तो उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया जा सकता है।
डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि धान के अवशेष जलाने से नुकसान किसान को ही होता है। इससे एक तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है दूसरा वायु प्रदूषण भी होता है। जमीन के मित्र कीट जल जाते हैं, जिससे फसलों का उत्पादन कम होता है। किसानों को अपनी फसलों की उपज बढ़ाने के लिए धान के अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए, बल्कि उनकी जुताई करके सिंचाई कर देनी चाहिए। यह फसल अवशेष गल जाते हैं और जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। डीसी ने किसानों से फसल अवशेष नहीं जलाने की अपील की है। उन्होंने किसानों से अपील की कि इन फसल अवशेषों की गांठ बनाकर किसान बेच भी सकते हैं।
पिछले एक सप्ताह से बढ़ गया वायु प्रदूषण
पिछले एक सप्ताह की बात करें तो वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। सर्दी के मौसम में वैसे भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। इसके बढ़ने के कारण कई हैं, लेकिन फसल अवशेष जलाना भी इनमें शामिल है। एक सप्ताह पहले वायु प्रदूषण का सूचकांक पीएम-10 बहुत कम 45 के आसपास था, जो अब बढ़कर 95 हो गया है।
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