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हरियाणा में कांग्रेस को 74, BJP को मिलीं 16 सीटें, पोस्टल बैलेट के आंकड़ों ने मचा दिया तूफान Politics & News

हरियाणा में कांग्रेस को 74, BJP को मिलीं 16 सीटें, पोस्टल बैलेट के आंकड़ों ने मचा दिया तूफान Politics & News

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Haryana Election 2024 Fact Check: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साध रही है. रिजल्ट वाले दिन ही पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए ईवीएम पर भी सवाल उठाए. कांग्रेस के दावों के बीच अब पोस्टल बैलेट ने भी एंट्री ले ली है. बीते गुरुवार (10 अक्टूबर) को कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को बंपर बहुमत मिला. इन दावों के बीच सोशल मीडिया पर एक आंकड़ा तेजी से वायरल होने लगा, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को बंपर सीटें मिली हैं. सोशल मीडिया के दावों का हमने सच जानने की कोशिश की है.

सोशल मीडिया के इन दावों का सच जानने जब हम चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पहुंचे तो हमें चौंकाने वाले आंकड़े मिले. वेबसाइट पर आंकड़े सोशल मीडिया के दावों की पुष्टि करते हैं, कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को बंपर बहुमत मिला, लेकिन फाइनल चुनाव परिणाम के मुताबिक हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 48, कांग्रेस को 37 और 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं ये आंकड़े
सोशल मीडिया के आंकड़ों के मुताबिक पोस्टल बैलेट में एकतरफा वोट कांग्रेस को मिले हैं. इसमें कांग्रेस को 74 और बीजेपी को 16 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे आंकड़ों का फैक्ट चेक किया गया. न्यूज तक के फैक्ट चैक के मुताबिक ये आंकड़ें सही पाए गए. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सभी विधानसभा सीटों के पोस्टल बैलेट के आंकड़े मौजूद हैं. इनमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि 90 में से 73 सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में अधिक वोट मिले. एक सीट भिवाड़ी पर सीपीएम को बीजेपी से पोस्टल बैलेट में अधिक वोट मिले. जानकारी के लिए बता दें कि सीपीएम हरियाणा चुनाव में कांग्रेस का गठबंधन साथी है.

क्या है पोस्टल बैलेट?
इसके नाम से ही स्पष्ट है कि पोस्टल बैलेट एक डाक मत पत्र होता है. ये 1980 के दशक में चलने वाले पेपर्स बैलेट पेपर की तरह ही होता है. चुनावों में इसका इस्तेमाल उन लोगों के द्वारा किया जाता है, जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं. जब ये लोग पोस्टल बैलेट की मदद से वोट डालते हैं, इन्हें सर्विस वोटर्स या अबसेंट वोटर्स भी कहा जाता है. इसके लिए चुनाव आयोग पहले ही चुनावी क्षेत्र में डाक मतदान करने वालों की संख्या को निर्धारित कर लेता है. इसलिए केवल उन्हीं लोगों को पोस्टल बैलेट भेजा जाता है. इसे इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) भी कहा जाता है. मतदाता द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देकर इस पोस्टल बैलेट को डाक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वापस चुनाव आयोग भेज दिया जाता है. 

कौन कर सकता है पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल? 
इस नई व्यवस्था के तहत खाली पोस्टल बैलट को सेना और सुरक्षा बलों को इलेक्ट्रिक तौर पर भेजा जाता है. जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक तरीके से पोस्टल बैलट नहीं भेजा जा सकता है, वहां पर डाक के माध्यम से पोस्टल बैलट भेजा जाता है. राज्य के ऐसे मूल निवासी जो केंद्रीय विभागों में दूसरे राज्य में काम कर रहे हैं, वो पोस्टल बैलेट की मदद से वोट डाल सकते हैं. केंद्रीय सुरक्षा बलों, आर्मी में पोस्टेड लोग वोट डाल सकते हैं. राज्य के सरकारी अधिकारी-कर्मचारी वर्ग, और 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग मतदाता इसमें वोट डालते हैं.

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