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Sirsa News: छल से सीता को हर ले गया रावण, हनुमान ने अशोक वाटिका उजाड़ी, लंका जलाई Latest Haryana News

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Ravana took away Sita by deceit, Hanuman destroyed Ashok Vatika and burnt Lanka.

 सीता माता के लिए विलाप करते हुए श्री राम और लक्ष्मण। 

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सिरसा। श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनता भवन रोड स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित 75वें रामलीला महोत्सव के आठवें दिन रावण मारीच संवाद, सीता हरण, जटायु मरण, श्रीराम-शबरी का मिलना, राम व हनुमान जी की भेंट, सुग्रीव मिलन, बाली वध, माता सीता की खोज में हनुमान जी का लंका जाना, अशोक वाटिका उजाड़ना तथा लंका दहन इत्यादि दृश्य मंचित किए गए।

प्रथम दृश्य में रावण मारीच के पास जाता है और उसे स्वर्ण मृग बनने का स्वांग रचने को कहता है ताकि श्रीराम उसे पकड़ने जाए और पीछे से वह सीता का हरण कर सके। मारीच रावण को इन्कार करता है परंतु रावण द्वारा वध की चेतावनी दिए जाने पर मारीच कहता है कि रावण के हाथों से मरने से अच्छा है वह राम के हाथों से अपना कल्याण करवाए।

इसके बाद वह मृग का रूप धारण कर लेता है। सीता श्रीराम से मृग को पकड़ने के लिए कहती हैं तो श्रीराम सीता को समझाते हैं कि कहीं यह राक्षसों का षडयंत्र न हो। परंतु सीता की जिद पर श्रीराम स्वर्ण मृग को पकड़ने के लिए चले जाते हैं और लक्ष्मण को सीता की रखवाली करने के लिए कुटिया में रहने को कहते हैं। इस दौरान श्रीराम जैसी आवाज सुनाई देती है। आवाज सुनकर माता सीता लक्ष्मण से कहती हैं कि तुम अपने भाई की मदद के लिए जाओ।

परंतु लक्ष्मण कहते हैं कि श्रीराम उन्हें कुटिया में रहकर आपकी रक्षा करने के लिए कहकर गए हैं। इसके बाद माता सीता कहती हैं कि तुम्हारे मन में कपट आ गया है। तुम श्रीराम को संकट में देखना चाहते हो।

इसके बाद लक्ष्मण श्रीराम की मदद के लिए जाने को तैयार हो जाते हैं, परंतु वे पर्ण कुटिया के आगे अपने बाण से रेखा खिंच कर जाते हैं और माता सीता को कहते हैं कि इस रेखा को मत लांधना। लक्ष्मण के जाते ही रावण भगवा वेश धारण कर सीता के पास भिक्षा मांगने आता है। सीता भिक्षा देती हैं तो वह कहती हैं कि इस रेखा से बाहर आकर दे वह बंधी हुई भिक्षा नहीं लेता। माता सीता जब लक्ष्मण रेखा लांघती हैं तो रावण उनका हरण कर बल पूर्वक ले जाता है।

इस दौरान पक्षीराज जटायु माता सीता को बचाने का प्रयास करता है परंतु रावण अपनी तलवार से उसके पंख काटकर उसे घायल कर देता है। उधर वन में जब श्रीराम और लक्ष्मण एक-दूसरे को देखते हैं तो वे समझ जाते हैं कि राक्षसों ने षडयंत्र रच दिया है।

जटायु को मरणासन्न अवस्था में देख श्रीराम उसे सहारा देते हैं। जटायु बताते हैं कि रावण माता सीता का हरण करके ले गया। इसके बाद जटायु प्राण त्याग देते हैं। वन में सीता की खोज करते हुए श्रीराम और लक्ष्मण शबरी की कुटिया में पहुंचते हैं। जहां शबरी बताती है कि वह अपने गुरु मार्तंग ऋषि के वचनानुसार श्रीराम का वर्षों से इंतजार कर रही थी। रोज उनके आने की प्रतीक्षा में रास्ता बुहारती है, फूल बिछाती है। भगवान राम को देखकर शबरी भाव विह्वल हो जाती है।

इसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण की हनुमान जी से भेंट होती है। हनुमान श्रीराम लक्ष्मण को बाली का गुप्तचर जान कर ब्राह्मण वेश में आते हैं परंतु बाद में प्रभु को पहचान कर उनके चरणों में गिर जाते हैं। श्रीराम उन्हें गले लगाते हैं और उन्हें भरत के समान अपना भाई बतलाते हैं। हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण को सुग्रीव के पास लेकर जाते हैं।

सुग्रीव श्रीराम को सीता माता के आभूषण दिखाते हैं जो रावण द्वारा अपहरण किए जाते समय वे वन में फेंक कर गई थीं। बाद में श्रीराम की आज्ञा से वानरों की सेना माता सीता की तलाश में वन में जाती है। हनुमान जी समुंद्र पार करके लंका में जाते हैं जहां माता सीता के दर्शनों के बाद वे फल खाते हैं और अशोक वाटिका उजाड़ते हैं।

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