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2010 के बाद मानदेय में संशोधन नहीं, ऑडिट ने जताई चिंता
ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि अतिरिक्त सेवाओं का मानदेय वर्ष 2010 में तय किया गया था जिसे आज तक संशोधित नहीं किया गया। फिलहाल 1500 रुपये प्रति पांच घंटे का मानदेय लागू है। ऑडिट के अनुसार कई संस्थानों ने आठ घंटे तक सुरक्षा ली लेकिन भुगतान केवल पांच घंटे का किया गया। इससे पुलिस को सीधा आर्थिक नुकसान हुआ। साल 2011-12 में किंग्स 11 पंजाब को दी गई सुरक्षा का 1.15 करोड़ रुपये का भुगतान भी अब तक लंबित है।
चुनावी ड्यूटी में यूपी-हरियाणा सबसे बड़े देनदार
सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश पर है, जहां 568 जवानों की ड्यूटी के एवज में 4.26 करोड़ रुपये से ज्यादा अटके हैं। दूसरे नंबर पर हरियाणा है, जिस पर 1.42 करोड़ रुपये बकाया हैं। अन्य राज्यों पर भी लाखों रुपये लंबित हैं। बकाया इस प्रकार है…
दिल्ली: 221 जवान – 51,00,961 रुपये
पुडुचेरी: 363 जवान – 62,68,089 रुपये
पंजाब: 361 जवान – 55,44,139 रुपये
गुजरात: 181 जवान – 64,75,762 रुपये
कर्नाटक: 121 जवान – 47,65,158 रुपये
त्रिपुरा: 121 जवान – 64,54,760 रुपये
पश्चिम बंगाल: 101 जवान – 34,33,348 रुपये
मध्य प्रदेश: 121 जवान – 66,17,615 रुपये
बैंक सुरक्षा दी, पर एडवांस भुगतान नहीं लिया
ऑडिट के अनुसार बैंकों को सुरक्षा देने में भी नियमों की अनदेखी हुई। बिना एडवांस भुगतान के सुरक्षा दी गई, जिससे 2019 से अब तक आरबीआई समेत सरकारी-निजी बैंकों पर 4.10 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हो गया। बकाया इस प्रकार है…
बैंकवार बकाया
एचडीएफसी बैंक: 19,61,892 रुपये
पंजाब एंड सिंध बैंक: 29,27,602 रुपये
बैंक ऑफ बड़ौदा: 40,10,541 रुपये
सेंट्रल बैंक: 4,67,195 रुपये
एक्सिस बैंक: 66,79,944 रुपये
आरबीआई: 1,02,45,297 रुपये
इंडियन बैंक (इलाहाबाद बैंक): 1,32,86,574 रुपये
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: 15,01,955 रुपये
मामले की जांच करवाकर ही इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी दे पाऊंगा। -पुष्पेंद्र कुमार, आईजी, चंडीगढ़
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न रेट तय, न भत्तों का क्लेम: चुनावी ड्यूटी और सुरक्षा में चंडीगढ़ पुलिस को 15 करोड़ से ज्यादा का झटका
