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लुधियाना फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला: नाबालिग के अपहरण व हत्या मामले में दोषी को उम्रकैद, फांसी से इनकार Chandigarh News Updates

लुधियाना फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला: नाबालिग के अपहरण व हत्या मामले में दोषी को उम्रकैद, फांसी से इनकार Chandigarh News Updates

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लुधियाना के पास गांव मलाक निवासी गुरवीर सिंह उर्फ गैवी को 15 वर्षीय नाबालिग छात्र के अपहरण, फिरौती मांगने और हत्या के मामले में अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। लुधियाना की फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप सिंह बाजवा ने मामले को गंभीर तो माना, लेकिन इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ की श्रेणी में न रखते हुए मौत की सजा देने से इनकार कर दिया।

अदालत ने आरोपी पर कुल चार लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया और पीड़ित परिवार को तीन लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश भी दिए। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में आरोपी को अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

अदालत का तर्क

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामला पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। आरोपी की उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि और सुधार की संभावना को देखते हुए फांसी की सजा न्यायसंगत नहीं होगी। इसलिए कानून के तहत उम्रकैद ही उपयुक्त सजा मानी गई।

30 जून 2019 से शुरू हुआ था दर्दनाक मामला

यह मामला 30 जून 2019 की शाम का है। गांव मलाक निवासी किसान हरदीप सिंह उर्फ काली पंच का 15 वर्षीय बेटा अनमोलप्रीत सिंह शाम करीब साढ़े छह बजे घर से खेलने के लिए निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा। देर रात तक तलाश के बाद परिजन उसके दोस्त हरजोत सिंह के घर पहुंचे। इसी दौरान हरजोत के मोबाइल फोन पर एक व्हॉट्सऐप मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि काली मेंबर को कह दे, उसका लड़का हमारे पास है। कल सुबह 10 बजे तक 20 लाख रुपये नहीं दिए तो लड़के को मार देंगे। पुलिस को बताया तो तुरंत मार दिया जाएगा। यह मैसेज एक विदेशी व्हॉट्सऐप बिजनेस नंबर से भेजा गया था, जिससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया।

एफआईआर और जांच

1 जुलाई 2019 को थाना सदर जगराओं में एफआईआर नंबर 124 दर्ज की गई। शुरुआत में मामला धारा 364-A आईपीसी (फिरौती के लिए अपहरण) के तहत दर्ज हुआ। बाद में हत्या और सबूत मिटाने की धाराएं भी जोड़ी गईं। जांच की जिम्मेदारी तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर किक्कर सिंह को सौंपी गई।

“लास्ट सीन” और गवाहों के बयान

गांव मलाक में कैफे चलाने वाले बलजिंदर सिंह उर्फ विक्की ने बताया कि घटना वाले दिन आरोपी गुरवीर सिंह अपने साथ अनमोलप्रीत को कैफे पर लाया था। बाद में वह उसे सफेद ज़ेन कार में बैठाकर जगराओं की ओर ले गया। गवाह सुखमिंदर सिंह और मृतक के मामा मनजीत सिंह ने भी अदालत में बयान दिया कि उन्होंने अनमोलप्रीत को आखिरी बार गुरवीर सिंह के साथ उसी ज़ेन कार में जाते देखा था। अदालत ने इसे अहम “लास्ट सीन एविडेंस” माना।

गिरफ्तारी और बरामदगी

लगातार मिल रहे सुरागों के आधार पर पुलिस ने 3 जुलाई 2019 को आरोपी गुरवीर सिंह को उसी सफेद ज़ेन कार सहित गिरफ्तार कर लिया। कार की तलाशी में एक जोड़ी चप्पल, खाली लिम्का बोतलें व एक ओप्पो मोबाइल फोन बरामद किए गए।

नहर से मिला शव

पूछताछ के दौरान आरोपी के खुलासे पर पुलिस अखाड़ा ग्रिड नहर पुल के पास पहुंची, जहां से दूसरी चप्पल और आगे झाड़ियों में अनमोलप्रीत का शव बरामद हुआ। परिजनों ने चप्पलों की पहचान मृतक की चप्पलों के रूप में की।

साइबर फॉरेंसिक रिपोर्ट बनी निर्णायक

एफएसएल और साइबर सेल की रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि फिरौती का व्हॉट्सऐप मैसेज जिस नंबर से भेजा गया था, वह आरोपी गुरवीर सिंह का ही मोबाइल नंबर था। इसी डिजिटल साक्ष्य ने मामले की आखिरी कड़ी जोड़ी।

अभियोजन पक्ष

मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 17 गवाह पेश किए। अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को विश्वसनीय मानते हुए आरोपी को दोषी ठहराया।

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