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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column If The Mind’s Movement Is Stopped, The Entire Personality Will Become Balanced.
पं. विजयशंकर मेहता
ऐसा कहते हैं कि पीपल के पान (पत्ते), हाथी के कान और भ्रमित के भगवान- हिलते ही रहते हैं। अब इसे हम अपनी मानसिकता, दृष्टिकोण, सोच के साथ जोड़ें। इन तीनों का एक अर्थ होता है- माइंडसेट। हमारा माइंडसेट तीन तरह का हो सकता है- ग्रोथ, फिक्स्ड और बैलेंस्ड माइंडसेट।
ग्रोथ माइंडसेट में लोग बहुत क्रिएटिव होते हैं, आशावादी होते हैं और उत्साह से भरे रहते हैं। फिक्स्ड माइंडसेट में निराशा, उदासी, बेचैनी जल्दी घेर लेती है। इस मानसिकता के लोग जीवन में आगे नहीं जा पाते। और बैलेंस्ड माइंडसेट वाले शांत, प्रसन्न, सुनिश्चित, सफल होकर रहते हैं।
तो हमें यदि बैलेंस्ड माइंडसेट रखना है तो अपने मन पर काम करना होगा, क्योंकि मन पेंडुलम की तरह कभी एक अति पर जाता है, कभी दूसरी अति पर। वह कभी मध्य में नहीं रुकता। जिसने मन को रोक लिया, उसका पूरा व्यक्तित्व संतुलित होगा। और संतुलित व्यक्तित्व वाले व्यक्ति दुनिया और दुनिया बनाने वाले, दोनों को ठीक से पा लेते हैं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मन की गति रोक ली तो पूरा व्यक्तित्व संतुलित हो जाएगा
