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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column The Lower A Man Falls, The More He Degenerates.
पं. विजयशंकर मेहता
कायदे से तो मंदिर में जाकर अहंकार गिराना चाहिए, पर कुछ लोग वहां जाकर आचरण गिरा देते हैं। पानी कितना ही नीचे गिरे, पानी ही रहेगा। लेकिन मनुष्य जितना नीचे गिरेगा, उतना ही पतित और पशुवत होता जाएगा। लोग धार्मिक क्षेत्र में भी भ्रष्ट होने के नए-नए मानक स्थापित कर रहे हैं। इन दिनों मांसाहार, शाकाहार और भ्रष्टाचार- इसकी बड़ी चर्चा होती है।
मांसाहार में हम दूसरों का जीवन समाप्त करके अपना पेट भरते हैं। शाकाहार में हम प्रकृति का सम्मान करते हुए अपना उदर तृप्त करते हैं। और भ्रष्टाचार में हम एक व्यवस्था के प्राण ले लेते हैं। इस समय दुनिया मांसाहार के प्रति उदासी बरत रही है। मीटलेस मंडे, वीगन फ्राइडे- इन सबका चलन बढ़ गया है।
लोगों को समझ आ गया है कि मांसाहार छोड़ने से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ेगा। लेकिन भ्रष्टाचारी लोग और बिगड़ रहे हैं। देश के सबसे धनाढ्य मंदिर में पहले लड्डू का भ्रष्टाचार किया। अब साड़ी प्रकरण सामने आ गया। ये भगवान के रोटी, कपड़ा, मकान- तीनों पर आक्रमण कर रहे हैं। आस्थावान आहत हैं और अपराधी अदृश्य हैं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मनुष्य जितना नीचे गिरेगा, उतना पतित होता जाएगा

