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प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के जीवन का सबसे खास समय होता है. इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं और हर महिला यही चाहती है कि उसकी प्रेग्नेंसी सुरक्षित और सामान्य रहे. हालांकि, कुछ मामलों में गर्भ ठहरने की प्रक्रिया सही तरीके से नहीं हो पाती और ऐसी स्थिति बन जाती है जो महिला की जान के लिए भी खतरनाक हो सकती है. इसी गंभीर समस्या का नाम एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है.
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक मेडिकल इमरजेंसी है. कई बार इसके लक्षण सामान्य प्रेग्नेंसी जैसे ही होते हैं, इसलिए महिलाएं इसे पहचान नहीं पातीं हैं. समय पर जांच न हो पाने की वजह से फैलोपियन ट्यूब फट सकती है और जान का खतरा तक हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि फैलोपिएन ट्यूब में भ्रूण कैसे ठहर जाता है और इससे मां की जान को कितना खतरा होता है.
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या होती है?
सामान्य प्रेगनेंसी में जब अंडाणु और शुक्राणु का मिलन होता है, तो निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब से होते हुए यूट्रस तक पहुंचता है. वहीं जाकर वह चिपकता है और बच्चे का विकास शुरू होता है, लेकिन एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में यह निषेचित अंडा गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाता और रास्ते में ही किसी गलत जगह रुक जाता है. ज्यादातर मामलों में यह फैलोपियन ट्यूब में ही फंस जाता है. इसी कारण इसे ट्यूबल प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है. फैलोपियन ट्यूब बच्चे के विकास के लिए बनी ही नहीं होती, इसलिए यह स्थिति बहुत खतरनाक मानी जाती है.
फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण कैसे ठहर जाता है?
महिला के अंडाशय से हर महीने एक अंडा निकलता है. यह अंडा फैलोपियन ट्यूब में पहुंचता है, जहां इसका मिलन शुक्राणु से होता है और फर्टिलाइजेशन होता है. फर्टिलाइजेशन के बाद यह अंडा धीरे-धीरे फैलोपियन ट्यूब से होते हुए यूटरस की ओर बढ़ता है. ट्यूब के अंदर मौजूद छोटे-छोटे बाल जैसे स्ट्रक्चर (सिलिया) इसमें मदद करते हैं. अगर किसी कारण से फैलोपियन ट्यूब में सूजन हो, संकुचन हो, ब्लॉकेज हो या ट्यूब खराब हो चुकी हो तो भ्रूण आगे नहीं बढ़ पाता और वहीं ट्यूब में चिपक जाता है. यहीं से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी शुरू हो जाती है.
फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण ठहरने के कारण
पहले हुआ कोई इंफेक्शन या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, पहले की गई सर्जरी, एंडोमेट्रियोसिस, पहले भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इतिहास, IVF या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, स्मोकिंग की आदत और हार्मोनल असंतुलन के कारण फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण ठहर सकता है.
इससे मां की जान को कितना खतरा होता है?
1. जानलेवा स्थिति – एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक गंभीर और जानलेवा स्थिति हो सकती है. अगर समय पर इलाज न हो, तो यह महिला की जान ले सकती है.
2. ट्यूब का फटना – जैसे-जैसे भ्रूण बढ़ता है, फैलोपियन ट्यूब पर दबाव बढ़ता जाता है. एक समय पर ट्यूब फट सकती है.
3. इंटरनल ब्लीडिंग – ट्यूब फटने पर पेट के अंदर तेज ब्लीडिंग होती है, जो बाहर से नजर नहीं आता लेकिन बहुत खतरनाक होता है.
4. बेहोशी और शॉक- ज्यादा खून बहने से महिला बेहोश हो सकती है, ब्लड प्रेशर गिर सकता है और मेडिकल शॉक की स्थिति बन सकती है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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फैलोपिएन ट्यूब में कैसे ठहर जाता है भ्रूण, इससे मां की जान को कितना खतरा?

