Stock Market News: यूएस फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का वैश्विक बाजारों पर स्पष्ट प्रभाव दिखाई दिया है. लंबे समय से कमजोर धारणा और लगातार तीन दिनों की गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार ने गुरुवार को मजबूत वापसी की. अमेरिकी फेड की बैलेंस्ड पॉलिसी और 0.25 प्रतिशत की रेट कटौती ने निवेशकों में नई ऊर्जा भर दी, जिसके चलते सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने बढ़त के साथ कारोबार समाप्त किया. बाजार में वाहन और मेटल सेक्टर की तेजी सबसे अधिक प्रभावी रही, जिसने दिन भर उतार-चढ़ाव के बावजूद सूचकांकों को मजबूती दी.
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स शुरुआती कमजोरी से उबरते हुए 426.86 अंक यानी 0.51 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84,818.13 पर बंद हुआ. ट्रेडिंग के दौरान एक तरफ जहां यह 84,150.19 के निचले स्तर तक फिसला था, वहीं ऊपरी स्तर पर यह 84,906.93 तक भी पहुंचा. इसी तरह एनएसई निफ्टी ने भी 140.55 अंक यानी 0.55 प्रतिशत की मजबूती दिखाई और 25,898.55 पर बंद हुआ. दिन के उच्चतम स्तर पर निफ्टी 25,922.80 तक पहुंच गया था, जो निवेशकों में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है.
चढ़े इन कंपनियों के शेयर
बाजार में तेजी का सबसे बड़ा सहारा उन कंपनियों को मिला जिनके शेयरों ने मजबूत प्रदर्शन किया. सेंसेक्स की प्रमुख कंपनियों में इटर्नल, टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, मारुति सुजुकी, सन फार्मा, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक तेज़ी में रहे. बेहतर मांग, नतीजों में सुधार और सेक्टोरल मजबूती ने इन कंपनियों को ऊंचाई तक पहुंचाया. दूसरी ओर एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, पावरग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और टाइटन में गिरावट देखी गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बाजार में सेक्टर-वार अंतर अभी भी कायम है.
विश्लेषकों का मानना है कि फेड की रेट कटौती ने न केवल भारतीय बाजार बल्कि वैश्विक निवेश धारणा को नई दिशा दी है. जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार, अमेरिका में 10 साल की बांड यील्ड में आई कमी का मतलब है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से निकट भविष्य में आक्रामक निवेश की संभावना कम हो सकती है. हालांकि अल्पकालिक आधार पर यह कदम उभरते बाजारों के लिए राहत लेकर आया है. साथ ही, भारत के ऑटो सेक्टर में मांग उम्मीद से अधिक मजबूत है, जिसके चलते इस सेक्टर ने बाजार के समग्र प्रदर्शन को सहारा दिया. आईटी सेक्टर ने भी खर्च बढ़ने की उम्मीद के चलते बढ़त हासिल की.
क्या कहते हैं एक्सर्ट्स
वैश्विक बाजारों की बात करें तो एशिया में अधिकांश सूचकांक गिरावट में रहे. जापान का निक्की, हांगकांग का हैंग सेंग, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट सभी दबाव में रहे. एआई कंपनियों के ओवरवैल्यूएशन और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड ने क्षेत्रीय बाजारों की धारणा पर नकारात्मक असर डाला. यूरोपीय बाजारों में दोपहर के कारोबार के दौरान तेजी का माहौल था, जबकि अमेरिकी बाजारों ने बुधवार को मजबूती दर्ज की थी.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को 1,651 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार पर थोड़ा दबाव बना रहा. वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 3,752 करोड़ रुपये की खरीदारी कर बाजार को स्थिरता दी. कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.22 प्रतिशत गिरकर 61.45 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
Source: https://www.abplive.com/business/us-federal-reserve-rate-cut-impact-market-sentiment-break-market-fall-after-three-days-3056870


