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प्रदेश में चर्चित रेलू राम पूनिया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व विधायक रेलू राम पूनिया की बेटी सोनिया और दामाद संजीव कुमार की समयपूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। इस मामले में हाई कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है। सोनिया-संजीव कुमार को फांसी की सजा दिलाने वाले एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि हम इस मामले की जानकारी जुटा रहे हैं। अभी अदालत के आदेश की प्रति नहीं मिली है। मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
अगस्त 2001 में लितानी गांव के नजदीक स्थित फार्म हाउस में पूर्व विधायक रेलू राम पूनिया (50), उनकी पत्नी कृष्णा देवी (41), बच्चे प्रियंका (14), सुनील (23), बहू शकुंतला (20), पोता लोकेश (4) और दो पोतियों शिवानी (2) और 45 दिन की प्रीति की हत्या कर दी गई थी। 2004 में हिसार की अदालत ने संजीव और सोनिया को फांसी की सजा सुनाई जिसे 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। बाद में 2014 में दया याचिका में देरी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
संजीव ने दलील दी कि वह 20 साल से अधिक वास्तविक सजा काट चुका है जबकि छूट आदि जोड़ने पर यह अवधि 25 वर्ष 9 माह से अधिक हो जाती है। सोनिया भी 28 वर्ष से अधिक सजा भुगत चुकी हैं। याचिका में कहा कि दोषी करार दिए जाने के समय लागू हरियाणा समय पूर्व नीति 2002 के तहत वे रिहाई के पात्र हैं।
सुप्रीम कोर्ट के कई व संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि आखिरी सांस तक जेल जैसी सजा केवल संवैधानिक अदालत ही दे सकती है, कोई कार्यकारी कमेटी नहीं। याचिकाकर्ताओं ने छह अगस्त 2024 के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें कहा गया था कि संजीव आखिरी सांस तक जेल में रहेगा। दलील में कहा गया कि स्टेट लेवल कमेटी ने उनकी जेल आचरण रिपोर्ट, शिक्षा, सुधारात्मक गतिविधियों और पुनर्वास कार्यक्रमों पर विचार ही नहीं किया।
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रेलू राम पूनिया हत्याकांड: सोनिया-संजीव की समयपूर्व रिहाई वाली मांग याचिका हाईकोर्ट ने स्वीकार की, फैसला बाकी

