in

रुपया लागतार दूसरे दिन ऑल टाइम लो पर: डॉलर के मुकाबले 28 पैसे गिरकर 90.41 पर आया; सोना और क्रूड ऑयल महंगे होंगे, एक्सपोर्टर्स को फायदा Business News & Hub

रुपया लागतार दूसरे दिन ऑल टाइम लो पर:  डॉलर के मुकाबले 28 पैसे गिरकर 90.41 पर आया; सोना और क्रूड ऑयल महंगे होंगे, एक्सपोर्टर्स को फायदा Business News & Hub

नई दिल्ली7 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

रुपया आज यानी 4 दिसंबर को डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। PTI के अनुसार आज डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे गिरकर 90.43 के स्तर पर आ गया है। कल यानी 3 दिसंबर को ये 25 पैसे गिरकर 90.21 के स्तर पर बंद हुआ था।

लगातार विदेशी फंड्स की निकासी ने रुपए पर दबाव बनाया है। रुपया 2025 में अब तक 5.5% कमजोर हो चुका है। 1 जनवरी को रुपया डॉलर के मुकाबले 85.70 के स्तर पर था, जो अब 90.41 रुपए के लेवल पर पहुंच गया है।

रुपए में गिरावट से इम्पोर्ट करना महंगा होगा रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इम्पोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है।

मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी, तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाता था। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 90.21 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे छात्रों के लिए फीस से लेकर रहना-खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।

रुपए में गिरावट की तीन वजहें

  • US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया हैं, जो भारत की GDP ग्रोथ को 60-80 बेसिस पॉइंट्स गिरा सकता है और फिस्कल डेफिसिट बढ़ा सकता है। इससे निर्यात घट सकता है। विदेशी मुद्रा की आमद कम होती है। इस वजह से रुपया दबाव में है।
  • जुलाई 2025 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) ने भारतीय एसेट्स में ₹1.03 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री की है। इसकी वजहें US ट्रेड टैरिफ्स की चिंता है। इससे डॉलर की मांग बढ़ गई है (बिक्री डॉलर में कन्वर्ट होती है), जो रुपए को नीचे धकेल रहा है।
  • तेल और सोने की कंपनियां हेजिंग के लिए डॉलर खरीद रही हैं। अन्य आयातक भी टैरिफ अनिश्चितता के कारण डॉलर स्टॉक कर रहे हैं। इससे रुपए पर लगातार दबाव बना हुआ है।

RBI का हस्तक्षेप इस बार काफी कम रहा

LKP सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा- रुपया 90 के पार पहुंचने बड़ी वजह यही है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर कोई पक्की खबर नहीं आ रही और टाइमलाइन बार-बार टल रही है। इसलिए पिछले कुछ हफ्तों में रुपए की तेज बिकवाली हुई है।

त्रिवेदी ने आगे बताया कि मेटल और गोल्ड की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने आयात का बिल बढ़ा दिया है। अमेरिका के ऊंचे टैरिफ से भारतीय निर्यात की कॉम्पिटिटिवनेस को चोट लगी है। उन्होंने कहा, RBI का हस्तक्षेप भी इस बार काफी कम रहा है, जिससे गिरावट और तेज हुई।

शुक्रवार को RBI पॉलिसी आने वाली है, मार्केट को उम्मीद है कि सेंट्रल बैंक करेंसी को स्थिर करने के लिए कुछ कदम उठाएगा। टेक्निकल रूप से रुपया बहुत ज्यादा ओवरसोल्ड हो चुका है।

करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?

डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिसिएशन कहते हैं।

हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।

अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपए के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा।

खबरें और भी हैं…

Source: https://www.bhaskar.com/business/news/rupee-hits-all-time-low-for-second-consecutive-day-136580224.html

4.1-magnitude earthquake hits Bangladesh; no casualties reported Today World News

4.1-magnitude earthquake hits Bangladesh; no casualties reported Today World News

फोल्डेबल फोन्स को खूब पसंद कर रहे लोग, बिक्री में आया तेज उछाल, यह कंपनी सबसे आगे Today Tech News

फोल्डेबल फोन्स को खूब पसंद कर रहे लोग, बिक्री में आया तेज उछाल, यह कंपनी सबसे आगे Today Tech News