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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के लिए हर कोई उत्साहित व प्रफुल्लित है। महोत्सव भले ही औपचारिक रूप से 5 दिसंबर तक चलेगा लेकिन 24 नवंबर से शुरू हुए मुख्य कार्यक्रम मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी पर 1 दिसंबर को गीता पूजन व दीपोत्सव के साथ संपन्न हो गए। इस बार महोत्सव ने अपनी बेहद खास पहचान बनाने के साथ अनूठी छाप भी छोड़ी है। महोत्सव की गूंज करीब 58 देशों तक सुनाई दी और हर कोई गीता के मर्म में डूबा दिखाई दिया। मुख्य कार्यक्रमों के दौरान आठ दिन तक धर्मनगरी अध्यात्म, कला और संस्कृति का संगम बनी रही।
इस बार महोत्सव का स्तर ही नहीं गरिमा भी बढ़ी है जिसमें केंद्रीय मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री व उप राष्ट्रपति तक शरीक हुए जिसके साथ ही महोत्सव ऐतिहासिक भी बन गया है और धर्मनगरी की भी देश-विदेश में शान बढ़ गई है। 10 वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान व तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से इस महोत्सव ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप लेना शुरू किया था, जो इस बार कई मायनों में अनूठा रहा।
15 नवंबर से शुरू हुए महोत्सव का आगाज राज्यपाल प्रो. असीम घोष ने गीता पूजन व घंटा बजाकर किया था। इस दिन पवित्र ब्रह्मसरोवर पर महोत्सव का सरस व शिल्प मेला शुरू हुआ था, जो 5 दिसंबर तक चलेगा। यह पहला मौका है जब सरस व शिल्प मेला 21 दिन तक चलेगा। महोत्सव में 22 से ज्यादा राज्यों के शिल्पकार व कलाकारों ने खूब धूम मचाई और वहीं छह देशों के शिल्पकारों ने भी अपनी शिल्पकला से हर किसी को हैरान किया।
पहली बार इस तरह बढ़ा अंतरराष्ट्रीय स्वरूप
– 16 देशों के 25 स्कॉलर 24 से 26 नवंबर तक हुए अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन में पहुंचे और मंथन किया।
– फिजी व त्रिनाद के 20 पंडित भी महोत्सव में पहुंचे।
– 58 देशों में हुए गीता महोत्सव के कार्यक्रम।
– विभिन्न देशों के दूतावासों में महोत्सव के कार्यक्रम हुए।
पहली बार हुआ खास वीआईपी आगमन तो बढ़ी महोत्सव की गरिमा
– 24 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन में पहुंचे। इससे पहले पवित्र ब्रह्मसरोवर पर पूजन किया और हरियाणा पैवेलियन का उद्घाटन भी किया।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को महोत्सव में पहुंचे। उन्होंने पवित्र ब्रह्मसरोवर तट पर पूजन के साथ महाआरती भी की।
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने बनाई खास पहचान: 58 देशों में सुनाई दी गूंज, PM से लेकर इन नेताओं ने की शिरकत

