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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम भले ही सोमवार को संपन्न हो गए लेकिन पांच दिसंबर तक जारी रहने वाले सरस व शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने खूब रंग जमाया। पवित्र ब्रह्मसरोवर पर चारों ओर वाद्य यंत्रों की धुनें गूंजती रही तो हरियाणा विभिन्न जिलों के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों के कलाकारों ने अपनी-अपनी कलाओं से पूरे माहौल में उत्साह भर दिया। वहीं देश भर से आए शिल्पकारों ने भी महोत्सव में ब्रह्मसरोवर की फिजा का रंग बदलने का काम किया।
मंगलवार को उमड़ी पर्यटकों की भीड़ के चलते इन शिल्पकारों के चेहरे खिले रहे तो जमकर खरीददारी भी हुई। अपनी कला के कद्रदानों की बढ़ती संख्या को देख शिल्पकारों के चेहरे खिले रहे। सरस व शिल्प मेले में लोक कलाकारों ने जब नृत्य के साथ-साथ वाद्य यंत्रों से धुनें निकाली तो पर्यटक भी थिरकने को मजबूर हो उठे। लोक कलाकारों के नृत्यों के साथ-साथ ढोल की थाप और नगाड़ों पर पर्यटक झूम-झूम कर नाचते नजर आए।
विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों द्वारा अपने-अपने प्रदेशों की लोक संस्कृति को इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इतना ही नहीं दूर दराज से आने वाले पर्यटकों ने भी दूसरे प्रदेशों की संस्कृतिक कला की सराहना की। कलाकारों द्वारा अपने-अपने प्रदेशों की लोक संस्कृति को दिखाने का काम किया है। महोत्सव के इन यादगार पलों को पर्यटक अपने-अपने कैमरों में कैद करते दिखाई दिए।
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लोक कलाकारों और शिल्पकारों ने बदली ब्रह्मसरोवर की फिजा, गूंजते रहे वाद्य यंत्र