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अंबाला। रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों की वजह से जहां देश की प्रीमियम ट्रेनें वंदे भारत व शताब्दी बीच रास्ते फंस गईं, वहीं दर्जनभर एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों पर भी इनका असर नजर आया। ट्रेनों का संचालन प्रभावित होने से यात्री इधर-उधर भटकते नजर आए। किसानों का यह धरना प्रदर्शन वीरवार दोपहर को अंबाला-दिल्ली रेल सेक्शन पर मोहड़ा गांव के पास फाटक नंबर 102 सी पर शुरु हुआ जोकि दोपहर 12.30 बजे से 2.30 बजे तक चला।
भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के राष्ट्रीय महासचिव अमरजीत सिंह मोहड़ी की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रदर्शन में किसान जत्थेबंदियों से जुड़े पदाधिकारियों व सदस्यों ने हिस्सा लिया। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करके लखीमपुर खीरी में हुए जघन्य हत्याकांड के लिए इंसाफ मांगा। किसान नेताओं ने कहा कि तीन साल पहले हुए हत्याकांड में चार किसानों सहित एक पत्रकार की मौत हो गई थी। इस हत्याकांड में आजतक आरोपियों को सजा नहीं हुई और वो आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। गौरतलब है कि इस वर्ष किसान तीन बार रेलवे ट्रैक जाम कर चुके हैं। उनका पहला सांकेतिक प्रदर्शन 15 फरवरी को अमृतसर में हुआ था। इसके बाद दूसरा प्रदर्शन 16 अप्रैल को किसानों ने शंभू रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर बैठे किया था और यह आंदोलन 34 दिन तक चला था।
बीच रास्ते फंसी वंदे भारत
किसान आंदोलन शुरु होते ही लगभग पांच मिनट बाद ही कटरा से नई दिल्ली जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 22478 दोपहर 12.35 बजे मोहड़ा के पास पहुंच गई। ट्रेन को अपनी तरफ आता देखकर किसान रोष जताने लगे की सरकार उनके आंदोलन को कुचलना चाहती है, लेकिन मौके पर तैनात आरपीएफ व जीआरपी ने तुरंत इसकी जानकारी कंट्रोल पर दी तो वंदे भारत को लगभग 100 मीटर की दूरी पर रोक दिया गया। दो घंटे तक यात्री ट्रेन में ही फंस रहे। लगभग 2.30 बजे किसानों के उठते ही 2.40 बजे वंदे भारत को नई दिल्ली की तरफ रवाना कर दिया गया।
कैंट स्टेशन पर रुकी ट्रेनें
किसान आंदोलन के कारण कुछ ट्रेनों को अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर ही रोक दिया गया। जानकारी के अनुसार ट्रेन नंबर 09321 सुबह 11.52 बजे प्लेटफार्म सात पर पहुंच गई थी जोकि दोपहर 2.58 बजे रवाना की गई। इसी प्रकार ट्रेन नंबर 14617 को तीन बजे, 12317 को 3.15 बजे, 12550 को 2.58 बजे, 12046 को 2.48 बजे रवाना किया गया।
बीच रास्ते अटकी ट्रेनें
ट्रेन नंबर 14610 हेमकुंट एक्सप्रेस डेढ़ घंटा, 09322 देहरादून स्पेशल ढाई घंटे, 05006 गोरखपुर स्पेशल साढ़े छह घंटे, 04568 नंगलडैम-अंबाला मेमू ढाई घंटे, 11058 अमृतसर-मुंबई डेढ़ घंटा, 14735 श्रीगंगानगर-अंबाला डेढ़ घंटा, 14526 अंबाला इंटरसिटी एक्सप्रेस ढाई घंटे, 12045 चंडीगढ़ शताब्दी डेढ़ घंटा, 12920 मालवा एक्सप्रेस दो घंटे, 12474 सर्वोदय एक्सप्रेस डेढ़ घंटा, 14612 कटरा-गाजीपुर ढाई घंटे, 14674 शहीद एक्सप्रेस दो घंटे, 12925 पश्चिम एक्सप्रेस डेढ़ घंटे की देरी से चलाया गया।
किसान आंदोलन के कारण हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ता है। जब ट्रेनें रद्द होती हैं तो उनकी जानकारी मोबाइल पर मिल जाती है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण ट्रेनें बीच रास्ते फंसेंगी, इसकी जानकारी नहीं मिलती और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। सुबह से स्टेशन पर खड़े हैं और शाम होने वाली है,ट्रेन अभी तक नहीं आई।
तरवीन यादव।
यह रेलवे की नाकामी है। किसान आंदोलन के कारण भूखे-प्यासे यात्रियों की सूध रेलवे नहीं लेता, जबकि यात्रियों के पास कंफर्म टिकट होती है। घंटों ट्रेन में बैठे हैं, लेकिन कोई भी रेलवे कर्मचारी या अधिकारी हालात पूछने नहीं आया। ट्रेन कब चलेगी, इसकी जानकारी भी स्टेशन पर तैनात अधिकारियों को नहीं होती।
बचन सिंह।
यह सरकारी की नाकामी है। लखीमपुरी खीरी में हुए जघन्य हत्याकांड को तीन वर्ष बीत गए हैं, लेकिन मृतक किसानों व एक पत्रकार के परिजनों को आजतक इंसाफ नहीं मिल पाया। इसलिए आज रेलवे ट्रैक पर सांकेतिक धरना देकर रोष जाहिर किया है ताकि सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करे और पीड़ितों को न्याय मिले।
अमरजीत सिंह मोहड़ी, राष्ट्रीय अध्यक्ष बीकेयू शहीद भगत सिंह ग्रुप।
किसानों के मुद्दों पर सरकार न तो पहले गंभीर थी और न अब गंभीर है। लखीमपुर खीरी हत्याकांड एक ऐसी घटना है जो कभी भुलाई नहीं जा सकती। अपने मृतक साथियों और उनके परिजनों के प्रति संवेदना जाहिर करने और सरकार को नींद से जगाने के लिए ही यह दो घंटे का प्रदर्शन रेलवे ट्रैक पर किया गया है ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
नवदीप सिंह जलबेहड़ा, किसान नेता।
किसान आंदालन की वजह से करीब 12 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ है। ट्रेनों को बीच रास्ते रोक दिया गया था ताकि यात्रियों को परेशानी का सामना न करना पड़े। किसानों के रेलवे ट्रैक से हटते ही सभी ट्रेनों को उनके गंतव्य स्टेशन की ओर रवाना कर दिया गया।
– एम एस भाटिया, डीआरएम, अंबाला
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