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चंडीगढ़ कैट, हमीरपुर डाक मंडल के हक में सुनाया फैसला: EWS कोटा हटाने का मामला,उम्मीदवार की याचिका खारिज – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ कैट, हमीरपुर डाक मंडल के हक में सुनाया फैसला:  EWS कोटा हटाने का मामला,उम्मीदवार की याचिका खारिज – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ।

हमीरपुर डाक मंडल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का कोटा हटाने के फैसले पर सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) की शिमला सर्किट बेंच ने डाक विभाग को राहत दी है। चंडीगढ़ ट्रिब्यूनल ने विभाग के निर्णय को सही ठहराते हुए उम्मीदवार की याचिका को खारि

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कैट ने माना कि विभाग ने नियमों का पालन करते हुए संशोधन किया और इसमें कोई गैरकानूनी कार्रवाई नहीं हुई। दो पदों में दोनों को आरक्षित रखना कानून के खिलाफ होता, इसलिए EWS कोटा हटाने का फैसला सही था।

यह आदेश न्यायिक सदस्य रमेश सिंह ठाकुर और प्रशासनिक सदस्य अंजलि भावरा की बेंच ने सुनाया। मामला वर्ष 2020 की डाक विभाग की पोस्टमैन/मेलगार्ड भर्ती परीक्षा से जुड़ा था।

जानिए पूरा मामला क्या था

हमीरपुर डाक मंडल में वर्ष 2020 की भर्ती प्रक्रिया के लिए 28 नवंबर 2020 को अधिसूचना जारी हुई थी। इसमें दो पद निकाले गए थे एक अनुसूचित जनजाति (ST) और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित था।आवेदनकर्ता रूप सिंह, जो उस समय बिलासपुर के कोसेरियन में असिस्टेंट ब्रांच पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत थे, ने EWS कोटे में आवेदन किया और परीक्षा व डेटा एंट्री स्किल टेस्ट (DEST) दोनों पास कर लिए।

लेकिन परिणाम जारी होने से पहले 19 मई 2021 को डाक विभाग ने एक संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें EWS कोटा हटा दिया गया और उसे अनारक्षित (UR) श्रेणी में बदल दिया गया। विभाग ने तर्क दिया कि केवल दो पदों में दोनों रिजर्व रखने से 100% आरक्षण हो जाता, जो नियमों के खिलाफ है।

कैट मे दी चुनौती

याचिकाकर्ता की दलीलरूप सिंह ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर करते हुए कहा कि एक बार EWS पद अधिसूचित हो जाने के बाद उसे हटाना मनमाना और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की 31 जनवरी 2019 की अधिसूचना के खिलाफ है, जिसमें EWS वर्ग को 10% आरक्षण का प्रावधान है। इसलिए उन्हें मेरिट के आधार पर उसी कोटे में नियुक्त किया जाना चाहिए।

विभाग का पक्षविभाग ने कहा कि भर्ती अधिसूचना में साफ लिखा गया था कि पद अस्थायी हैं और इनमें बदलाव संभव है। दोनों पदों को आरक्षित रखने से 100% आरक्षण हो जाता, जो सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ केस के फैसले के अनुसार असंवैधानिक है। इसलिए EWS पद को अनारक्षित किया गया। यह बदलाव परिणाम जारी होने से पहले किया गया था, इसलिए इसे “खेल के बीच नियम बदलना” नहीं कहा जा सकता।

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