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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध मामले में आज सुनवाई होगी। यह सुनवाई ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल करेगी।
सरकारी वकील ने हसीना के खिलाफ पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें हत्या, अपराध रोकने में नाकामी और मानवता के खिलाफ अपराध सबसे अहम हैं।
सरकारी वकील ने उनके लिए फांसी की सजा की मांग की है। हसीना की पार्टी अवामी लीग ने गुरुवार को सुबह से शाम तक देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया है।
मामले में बढ़ते तनाव को देखते हुए बांग्लादेश हाई अलर्ट पर है। देशभर के एयरपोर्ट्स और अहम इमारतों पर पुलिस और सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। हालात देखते हुए ट्रिब्यूनल फैसले की तारीख आगे भी बढ़ा सकता है।

हिंसा-आगजनी के बाद हुए शेख हसीना का तख्तापलट
घटना की शुरुआत 5 अगस्त 2024 को हुई, जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया। इससे पहले और बाद में देशभर में भारी प्रदर्शन, आगजनी और हिंसा देखी गई।
सरकार पर आरोप लगे कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया गया और फायरिंग की गई। हिंसा बढ़ने के बाद शेख हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली।
इसके बाद बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। उन्हें कोर्ट ने देश लौटकर केस में पेश होने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने यह आदेश नहीं माना।
ट्रिब्यूनल के सरकारी वकील गाजी मुनव्वर हुसैन तमीम ने कहा कि 13 नवंबर को सिर्फ फैसला सुनाने की तारीख बताई जाएगी, उस दिन सजा नहीं सुनाई जाएगी। आमतौर पर फैसला घोषित होने में करीब एक हफ्ता लगता है।

हसीना ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया
हसीना की तरफ से कहा गया कि यह पूरा केस राजनीतिक साजिश है। उनका कहना है कि ट्रिब्यूनल निष्पक्ष नहीं है और सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं।
उन्होंने इस कानूनी प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है।
वहीं बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 12 फरवरी तक पेश होने का निर्देश दिया था।
बांग्लादेश भारत से हसीना को डिपोर्ट करने की अपील भी कर चुका है। हालांकि भारत सरकार उनका वीजा बढ़ा चुकी है, जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट नहीं किया जाएगा।
आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट
बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। भीड़ ने 5 अगस्त, 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री, 77 साल शेख हसीना के आवास पर हमला कर दिया था। भीड़ के पहुंचने से पहले हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। वे तब से भारत में रह रही हैं।
इसी के साथ बांग्लादेश में अवामी लीग की 20 साल पुरानी सरकार भी गिर गई। इसके बाद मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। हसीना के खिलाफ देशभर में छात्र कोटा सिस्टम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
दरअसल, बांग्लादेश में 5 जून, 2024 को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। लेकिन हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।

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